मलकानगिरि के अपहृत जिलाधिकारी और एक इंजीनियर की रिहाई के लिए माओवादियों द्वारा चुने गए मध्यस्थों और उड़ीसा सरकार के बीच वार्ता रविवार तक के लिए स्थगित हो गई. बहरहाल सरकार ने कुछ नक्सलवादियों के खिलाफ आरोपों की जांच की जिनकी रिहाई से दोनों अपहृत सुरक्षित लौट आएंगे.
जिलाधिकारी आ. विनील कृष्णा और कनिष्ठ अभियंता पबित्र मांझी को माओवादियों ने चार दिन से बंधक बना रखा है. उड़ीसा सरकार और दो मध्यस्थों के बीच शनिवार रात होने वाली बहुप्रतीक्षित बैठक टल गई क्योंकि मध्यस्थ आज नहीं पहुंच सके.
हैदराबाद के मध्यस्थ प्रोफेसर हरगोपाल ने बताया, ‘आज हम भुवनेश्वर नहीं जा सके. हम रविवार सुबह वहां पहुंचेंगे.’ दूसरे मध्यस्थ प्रोफेसर सोमेश्वर राव अस्वस्थ बताए जाते हैं.
मध्यस्थों से शुरुआती वार्ता फोन पर हुई. कृष्णा और मांझी की सुरक्षित रिहाई के लिए महत्वपूर्ण समझौते से पहले राज्य के वरिष्ठ अधिकारी तैयारियों में जुटे हुए हैं. दोनों को मलकानगिरि जिले के चित्रकोंडा इलाके में बुधवार की शाम अपहरण हुआ था.
माओवादी जेल में बंद अपने कुछ कामरेडों की रिहाई की मांग कर रहे हैं वहीं उड़ीसा सरकार ने आज कुछ नक्सलियों के खिलाफ आरोपों की जांच की जिनकी रिहाई से दोनों अधिकारियों की सुरक्षित रिहाई की उम्मीद है.{mospagebreak}
यह पहल तब शुरू हुई जब सरकार को उड़ीसा की जेलों में देशद्रोह के आरोप में बंद माओवादियों की सूची मिली. टेलीफोन पर प्रारंभिक वार्ता के दौरान प्रोफेसर हरगोपाल ने राज्य के गृह सचिव यू. एन. बेहरा को सुझाव दिया कि अपहर्ताओं से समझौता करने में आसानी होगी अगर गांतीप्रसाद जैसे कुछ प्रमुख लोगों को रिहा कर दिया जाए. गांतीप्रसाद पर उड़ीसा और आंध्रप्रदेश में करीब सौ मामले हैं.
इसके अलावा माओवादियों ने मलकानगिरि के जिला प्रशासन के माध्यम से रिहाई के लिए कुछ नाम दिए हैं और दावा किया है कि उड़ीसा में अपराधों में उनकी सीधी संलिप्तता नहीं है.
आंध्रप्रदेश में माओवाद समर्थक रिवॉल्युशनरी राइटर्स एसोसिएशन के पूर्व प्रमुख और भाकपा (माओवादी) के वरिष्ठ सदस्य एस. श्रीनिवासुलू की भी रिहाई की मांग की गई है. माओवादियों ने शीर्ष माओवादी नेता की पत्नी की रिहाई की भी मांग की है.
पत्रों और मध्यस्थों के माध्यम से की गई माओवादियों की मांग पर सरकार विचार कर रही है. वहीं राज्य सरकार ने आज एक उच्चस्तरीय बैठक की जिसमें मुख्य सचिव बी. के. पटनायक, गृह सचिव बेहरा और माओवाद विरोधी अभियान के अधिकारियों ने हिस्सा लिया.{mospagebreak}
यह पूछने पर कि क्या सरकार कुछ विद्रोहियों को रिहा करने पर सहमत हुई है, मुख्य सचिव बी. के. पटनायक ने कहा, ‘किसी भी माओवादी को रिहा करने पर कोई निर्णय नहीं किया गया है. औपचारिक समझौते के दौरान मुद्दा उठ सकता है.’