भारतीय मूल के ब्रिटिश लेखक सलमान रुश्दी ने कहा कि सऊदी अरब से आने वाले धन की मदद से इस्लाम के एक कट्टर रूप का प्रसार किया जा रहा है.
रुश्दी ने एक साक्षात्कार में कहा कि वहाबी विचारों के प्रसार के कारण सऊदी धन की मदद से इस समय एक कठोर इस्लाम विकसित हुआ है, आंशिक रूप से ऐसा अयातुल्लाओं और शिया इस्लाम के उदय के कारण भी हुआ है.
ज्ञात हो कि पैगम्बर मोहम्मद का उपहास उड़ाने वाली एक फिल्म के खिलाफ हाल में दुनियाभर के कई देशों में धार्मिक कार्यकर्ताओं ने हिंसक विरोध प्रदर्शन किए हैं. रुश्दी ने कहा कि भारत में भी अभिव्यक्ति की आजादी की स्थिति चिंताजनक है.
रुश्दी का बहुप्रतीक्षित संस्मरण 'जोसेफ एंटन' हाल ही में प्रकाशित हुआ है. यह संस्मरण एक ईरानी धार्मिक फतवे के तहत उनके नौ वर्षो के जीवन पर आधारित है.
रुश्दी ने कहा कि आप 300 रामायण पर रामनुजम के निबंध पर हुए हमलों को देखिए जिसे दिल्ली विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से हटा दिया गया, रोहिंटन मिस्त्री के उपन्यास पर हुए हमले को देखिए जिसे बम्बई विश्वविद्यालय के पाठ्यक्रम से तत्काल हटा दिया गया, और कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी पर हमले को देखिए जो कि बिल्कुल उचित कार्टून थे.
रुश्दी के अनुसार, आजादी के बाद भारतीय नेताओं की कार्टूनों में खिंचाई की गई, लेकिन उन्होंने काटरूनिस्टों को दबाने की कभी कोशिश नहीं की.
रुश्दी ने कहा कि हिंदू असहिष्णुता ठीक उसी तरह बुरी है, जिस तरह इस्लामिक असहिष्णुता. रुश्दी ने आश्चर्य के साथ कहा कि यह बहुसंख्यकों की असहिष्णुता है. उदाहरण के तौर पर एम.एफ. हुसैन पर सरस्वती के नंगे चित्र बनाने के लिए हमला हुआ, मैंने तो सरस्वती के चित्र कपड़े में नहीं देखे, आखिर वे कहां हैं, किसने उन चित्रों को बनाया?