उच्चतम न्यायालय द्वारा गुजरात दंगों से संबंधित गुलबर्ग सोयायटी मामले को निचली अदालत को सौंप दिए जाने के बाद अल्पसंख्यक आयोग ने कहा कि उस साम्प्रदायिक हिंसा में मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्य के आला अधिकारियों की भूमिका की जांच होनी चाहिए.
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आयोग के अध्यक्ष वजाहत हबीबुल्ला ने कहा, ‘हम चाहते हैं कि गुजरात दंगों के पीड़ितों को इंसाफ मिले. इसके लिए कई स्तरों पर लोग कोशिश कर रहे हैं. उम्मीद यही की जा सकती है कि सभी पीड़ितों को अदालत से इंसाफ मिलेगा.’
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यह पूछे जाने पर कि क्या दंगों में मोदी और उनके प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों की कथित भूमिका की जांच होनी चाहिए, हबीबुल्ला ने कहा, ‘बिल्कुल, सभी की जांच किया जाना वाजिब है. यह मामला अदालत के विचाराधीन है और ऐसे में कोई भी फैसला अदालत को ही करना है.’
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देश की सबसे बड़ी अदालत ने सोमवार को ज़किया जाफरी की ओर से मोदी की कथित भूमिका की जांच किए जाने की मांग के लेकर दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए इस मामले को निचली अदालत को सौंप दिया और एसआईटी की जांच पर अपनी निगरानी खत्म कर दी.
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ज़किया कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की पत्नी हैं. वर्ष 2002 के गुजरात दंगों के समय अहमदाबाद की गुलबर्ग सोसायटी में उपद्रवियों ने जाफरी समेत कई लोगों को जिंदा जला दिया था. ज़किया लंबे वक्त से इस मामले में मोदी और उनके प्रशासन के आला अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग कर रही हैं.
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उच्चतम न्यायालय के फैसले पर आयोग का रुख पूछे जाने पर हबीबुल्ला ने कहा, ‘अदालत के फैसले पर हम क्या कह सकते हैं. इस पर मैं कोई बयान नहीं दूंगा. इतनी उम्मीद जरूर करता हूं कि इस मामले में इंसाफ होगा.’
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उन्होंने कहा, ‘गुजरात दंगों से जुड़ा कोई मामला हमारे पास नहीं आया है. वैसे भी दंगे से जुड़े मामले अदालत के विचाराधीन है. ऐसी स्थिति में हमारी ओर से कोई दखल नहीं दिया जा सकता.’