केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सांसदों की तनख्वाह में 312.50 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोत्तरी फिलहाल टाल दी है. सचिवों को मिलने वाली मोटी तनख्वाह से सांसदों को चुभन हो रही है. जनता के नुमाइंदे चाहते हैं कि उनके भत्ते भी बढ़ाए जाएं.
भारत में एक सांसद की तनख्वाह फिलहाल 16,000 रुपये है. इसके अलावा उन्हें ढेरों मोटे मोटे भत्ते, रियायती पास और अन्य सुविधाएं मिलती है. संसद सत्र में हर दिन सदन में बैठने के लिए उन्हें 1,000 रुपये का भत्ता मिलता है. लेकिन नेताओं को यह कम लग रहा है. पक्ष हो या विपक्ष, इस पर सब एकमत हैं. सचिव स्तर के अधिकारी को हर महीने 80 हजार रुपये वेतन मिलता है.
सांसदों से बनी सरकार इस दिशा में आगे बढ़ना चाह रही है लेकिन संभल संभलकर. सरकार का मानना है कि एक सांसद को 50,000 रुपये प्रतिमाह वेतन मिलना चाहिए. हवाई जहाज से यात्रा के भत्ते और दूसरी सुविधाएं भी देने की योजना तैयार है लेकिन सोमवार को इसे टाल दिया गया.
कॉमनवेल्थ में भ्रष्टाचार की वजह से किरकिरी झेल रही सरकार को लग रहा है कि अपने पैसे बढ़ाने के लिए यह वक्त सही नहीं है. कुछ राज्यों में सूखे की स्थिति है, महंगाई का मुद्दा आसमान पर है. सूत्रों के मुताबिक इन मामलों की संवेदनशीलता को देखते हुए कैबिनेट ने वेतन वृद्धि का प्रस्ताव टाल दिया. सरकार को लगा कि इससे उसकी छवि खराब होगी.