मिस्र के राष्ट्रपति हुस्नी मुबारक ने छोड़ दी गद्दी. उन्होंने राष्ट्रपति पद से भी इस्तीफा दे दिया है. पूरे मिस्र में जश्न का माहौल है. 30 साल से चल रही तानाशाही को 18 दिन के जनाआंदोलन ने उखाड़ फेंका है.
गुरुवार शाम को ही हुस्नी मुबारक ने राष्ट्रपति पद न छोड़ने का ऐलान किया था. पर अब बात पूरी तरह साफ हो चुकी है कि मिस्र 30 साल के हुस्नी शासन से मुक्ति पा गया है. मिस्र के उपराष्ट्रपति उमर सुलेमान ने औपचारिक तौर पर हुस्नी के गद्दी छोड़ने का ऐलान कर दिया है. सेना को सत्ता सौंप कर भागे हुस्नी के बारे में कुछ घंटे पहले तक इजरायल का अल अरेबिया टीवी चैनल बता रहा था कि वो शर्म-अल-शेख में हैं.
ऐसा नहीं कि हुस्नी मुबारक हमेशा से इतने ही अलोकप्रिय थे. दरअसल उन्होंने बेहद लोकप्रिय तरीके से अपने करियर की शुरूआत की थी. पर 30 साल के शासन में वो अर्स से फर्श पर पहुंच गए और उन्हें बेहद शर्मनाक तरीके से सत्ता से हाथ धोना पड़ा. मोहम्मद हुस्नी सैय्यद मुबारक, 30 साल तक मिस्र की कुर्सी में काबिज रहने वाला एक ऐसा तानाशाह जिसने अपनी देश की जनता को हक के नाम पर जनमत संग्रह से लूटा. {mospagebreak}
बारहवीं पास करने के बाद वायुसेना से अपने करियर की शुरूआत करने वाले हुस्नी का जन्म 4 मई 1928 को हुआ था. हुस्नी मुबारक का वायुसेना में 25 साल का करियर बहुत ही प्रभावपूर्ण रहा. मिस्र की सत्ता में सेना का समर्थन अहम होता है लिहाजा हुस्नी ने इसी सीढ़ी से 1975 में उपराष्ट्रपति की गद्दी हथियाई और फिर 14 अक्टूबर 1981 में वो अनवर सादात की हत्या के बाद मिस्र के चौथे राष्ट्रपति बने.
मुबारक ने मिस्र के लोगों का हक़ मारकर करीब 1824 अरब रुपये की काली कमाई जुटा रखी है. उनके बेटों अलाउद्दीन मुबारक और गमाल मुबारक पर हथियारों की खरीद में दलाली खाने का आरोप है, तो पत्नी सुज़ैन मुबारक पर चैरिटी के नाम पर मिलने वाला करोड़ों का चंदा अपने निजी खाते में भरने का.
हुस्नी मुबारक ने ब्रिटेन और स्वीटजरलैंड में अपना काला धन जमा किया औऱ देश और विदेश में करीब एक दर्जन महल बनाए. पर भूख और भ्रष्टाचार से बेहाल जनता ने जब सिर उठाया तो मुबारक को 82 साल की उम्र में अपनी गद्दी छोड़नी ही पड़ी. वैसे इसके पीछे अमेरिका की भूमिका भी अहम मानी जा रही है.