नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने पाकिस्तान सीमा पर तैनात एयरोस्टैट राडार के क्षतिग्रस्त होने के लिए भारतीय वायु सेना की आलोचना की. इसके कारण 302 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. इस राडार को निचले स्तर पर उड़ान भरने वाले शत्रु विमानों की निगरानी के लिए तैनात किया गया था.
संसद में रखी गई कैग की रिपोर्ट में कहा गया कि यह दुर्घटना मई 2009 में तीन अधिकारियों के अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन सही तरीके से नहीं करने के कारण हुई. इस महत्वपूर्ण राडार के अगले साल के अंत तक संचालित होने की संभावना है.
इस दुर्घटना से भारतीय वायु सेना की निगरानी क्षमता प्रभावित हुई है क्योंकि इस्राइल से खरीदे गए दो एयरोस्टैट राडारों में से एक क्षतिग्रस्त हो गया है.
संसद में रखी गई कैग रिपोर्ट में कहा गया है कि 338 करोड़ रुपये की लागत वाले एयरोस्टैट की दुर्घटना की जांच के लिए गठित कोर्ट ऑफ इन्क्वायरी में तीन अधिकारियों को रखरखाव गतिविधियों की पर्याप्त निगरानी में उनकी विफलता के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि जिम्मेदारियों का निर्वहन सही तरीके से नहीं करने के लिए सभी तीन अधिकारियों के प्रति गंभीर अप्रसन्नता जताई गई. अधिकारियों के कर्तव्य का सही तरीके से निर्वहन नहीं करने के कारण 338 करोड़ रुपये की लागत वाला एयरोस्टैट दुर्घटनाग्रस्त हुआ.
भारत ने 676 करोड़ रुपये की लागत से साल 2007 में दो एयरोस्टैट राडार खरीदे थे ताकि शत्रुओं के विमान और ड्रोन की निचले स्तर पर निगरानी की जरूरतों को पूरा किया जा सके.
दुर्घटना के लिए वायु सेना की कड़ी आलोचना करते हुए कैग ने कहा कि क्षतिग्रस्त प्रणाली की मरम्मत की अनुमानित लागत 302 करोड़ रुपये है. उसने कहा, ‘क्षतिग्रस्त एयरोस्टैट को दुरुस्त करने में मरम्मत का काम शुरू करने के बाद 18 महीने लगेंगे. हालांकि, वायु सेना अप्रैल 2010 में क्षति मूल्यांकन के लिए वेंडर को आरएफपी जारी कर सकती है और जून 2011 तक अनुबंध पूरा नहीं हुआ.’
कैग ने कहा कि 2012 तक जब वायु सेना एयरोस्टैट को आपरेशनल करेगी उस वक्त तक उसका 80 फीसदी निर्धारित जीवन पूरा हो जाएगा.
सरकारी लेखा परीक्षक ने कहा कि चार मौसम विज्ञान अधिकारियों और नौ मौसम विज्ञान सहायकों का प्रावधान होने के बावजूद यूनिट के पास कोई मौसम विज्ञान अधिकारी नहीं है और सिर्फ वहां पर दो मौसम विज्ञान सहायक हैं.