लिफ्ट एक बच्चे के लिए मौत का सबब बन गई. घंटे भर तक मौते से चली जंग में आखिरकार एक मासूम जान की हार हुई. वाकया मुंबई का है, सागर दृष्टि कांप्लेक्स में सोमवार को एक बच्चे की लिफ्ट में फंसकर दर्दनाक मौत हो गई. बच्चे की उम्र महज सात साल थी और उसका नाम अज्जू मनीष खान था.
अज्जू के लिफ्ट में फंसे होने की सबसे पहले खबर उसकी नानी को लगी. नानी ने जब लिफ्ट बुलाने के लिए बटन दबाया तो पता चला कि लिफ्ट खराब है. फिर उनकी नजर अज्जू पर पड़ी. वह बुरी तरह लिफ्ट के दरवाज़े और दीवार के बीच उलझा हुआ था. उस वक्त रोने की आवाज आ रही थी.
एक चश्मदीद के मुताबिक उसकी नानी दौड़ी-दौड़ी आई औऱ बोली की बच्चा लिफ्ट में फंसा है फिर हमने फायर ब्रिगेड को फोन किया. नानी की आवाज सुनकर सोसाइटी के तमाम लोग मौके पर पहुंच गए. लेकिन बच्चा इस कदर फंसा हुआ था कि किसी की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर उसे निकाला कैसे जाए. लोगों की कोशिशें नाकाम हो रही थीं और जैसे जैसे वक्त बीत रहा था वैसे वैसे बच्चे की हिम्मत भी जवाब दे रही थी.
फायरब्रिगेड के कर्मचारी भी मौके पर पहुंचे और उन लोगों ने बड़ी मशक्कत कर बच्चे को लिफ्ट के बीच से निकाला. अज्जू को जबतक बाहर निकाला गया तबतक करीब घंटे भर का वक्त निकल चुका था. उसके शरीर से काफी खून बह चुका था. मासूम से अज्जू की हिम्मत जवाब दे चुकी थी. वह मौत से हार मान चुका था.
अज्जू की इस दर्दनाक मौत अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है. पहला सवाल यह कि जब अज्जू लिफ्ट में फंसा था तो लिफ्ट चली कैसे? क्योंकि जबतक लिफ्ट का गेट पूरी तरह बंद नहीं होता लिफ्ट नहीं चलती. अज्जू को किसी ने लिफ्ट में जाते नहीं देखा ऐसे में कोई ये नहीं बता पा रहा कि आखिर वो गेट में कैसे फंसा रह गया. दूसरा बड़ा सवाल यह भी है कि अज्जू की चीख किसी ने कैसे नहीं सुनी. अज्जू की जिस तरीके से लिफ्ट में फंसा था उसने आवाज़ तो जरूर लगाई होगी.
अपार्टमेंट में रहने वाले लोग लिफ्ट का रख-रखाव देखने वालों को भी दोषी मान रहे हैं. उनका आरोप है कि इस लिफ्ट में अक्सर तकनीकि गड़बड़ी होती है, लेकिन कभी कोई उसे ठीक करने नहीं आया. जिस शाम अज्जू की मौत हुई उस शाम भी लोगों ने जब लिफ्ट का रखरखाव करने वालों को फोन किया तो उनका कोई आदमी मौके पर नहीं पहुंचा.
पुलिस ने मामला दर्ज कर तफ्तीश शुरू कर दी है. अज्जू की मौत में किसकी लापरवाही का नतीजा है यह मालूम करने की कोशिश हो रही है. दावा है कि जल्द ही कसूरवारों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जाएगा.
यह हादसा बड़ा सबक उनलोगों के लिए है जो ऊंची इमारतों में रहते हैं. बच्चो को लेकर हमेशा ऐहतियात बरतें. कभी भी उन्हें लिफ्ट में अकेला जाने न दें.