मुंबई ब्लास्ट के पीछे इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर दोनों का हाथ है. दोनों आतंकवादी संगठनों ने इसके लिए सितंबर 2010 में ज्वाइंट ऑपरेशन चलाया था.
गृहमंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक यह साजिश सितंबर 2010 में रची गई थी.
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इंडियन मुजाहिदीन का सदस्य मोहसिन चौधरी और उसका भाई अकबर पिछले साल सितंबर के दूसरे हफ्ते में कराची गया. वहां इन दोनों की मुलाकात लश्कर के कागज़ी और अंसारी से हुई.
इसके बाद इन दोनों ने कई बार इलियास कश्मीरी और भटकल बंधुओं से भी मुलाकात की. इन दोनों ने इसी दौरान कराची के बाहर दाऊद इब्राहिम से भी मुलाकात की.
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इन मुलाकातों के दौरान ही मुंबई और अहमदाबाद में सीरियल धमाकों की साजिश रची गई. साथ ही इन दौरान दोनों संगठनों के गुजरात और महाराष्ट्र में मिलकर काम करने पर भी रजामंदी हुई.
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इस साजिश को मूर्त रूप देने के लिए खाड़ी देश और श्रीलंका से 30 लोगों की भर्ती की गई. इन लोगों को लश्कर ने कराची में एक महीने की ट्रेनिंग दी गई और फिर श्रीलंका के रास्ते भारत भेजा गया.
इस बार साजिश में पाकिस्तान, नेपाल या बांग्लादेश की सीमा का उपयोग नहीं किया गया.
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भारत पहुंचे कर ये लोग 2-3 की टुकड़ी में बंट गए और देश में विभिन्न स्थानों पर स्थित इंडियन मुजाहिदीन और दाऊद के स्लीपर सेल के लोगों से मुलाकात की.
इन लोगों ने अपने टारगेट की रेकी और वीडियोग्राफी भी की. लश्कर द्वारा पैसा मुहैया कराये गए इन लोगों ने अंततः मुंबई में सीरियल ब्लास्ट को अंजाम दिया.
इंडियन मुजाहिद्दीन और लश्कर ने मिलाया हाथ
क्या भारत पर हमले के लिए इंडियन मुजाहिदीन ने तालिबान के साथ हाथ मिलाए हैं. इसी साल जून में वडोदरा रेलवे स्टेशन पर पकड़े गए आईएम के आतंकवादी दानिश रियाज से पूछताछ में ऐसे ही संकेत मिले हैं.
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रियाज के संबंध 26/11 के संदिग्ध हारुन समेत कुछ दूसरे आतंकवादियों से हैं. इनके बीच हुए ई-मेल से पता चलता है कि देश भर से 10 युवकों को आतंकी ट्रेनिंग के लिए पाकिस्तान और अफगानिस्तान भेजा जाना था. हारुन और दानिश ने हैदराबाद में मुलाकात भी की थी.