भाजपा में ‘मुंडे संकट’ का कोई सौहार्दपूर्ण हल नहीं निकल पाया और मामला शक्ति परीक्षण तक जा पंहुचा है. मुंबई में मंगलवार को महाराष्ट्र के सभी सांसदों, विधायकों, पार्षदों और पदाधिकारियों की बैठक बुलाई गई है जिसमें इस बारे में विचार किया जाएगा.
पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के नजदीकी और महाराष्ट्र भाजपा के अध्यक्ष सुधरी मुंगातिवार ने यह बैठक बुलाई है. इसमें लोकसभा में भाजपा के उप नेता गोपीनाथ मुंडे के विद्रोही तेवरों से उत्पन्न स्थिति पर विचार होगा. इसमें पार्टी के महाराष्ट्र के प्रभारी एम वेंकैया नायडु भी उपस्थित होंगे.
सूत्रों ने बताया कि यह बैठक मंगलवार को मुंबई में होगी. इसे गडकरी की ओर से मुंडे को खुली चुनौती के रूप में देखा जा रहा है. यह इस बात का भी संकेत है कि मुंडे और गडकरी के बीच की यह लड़ाई अब शक्ति परीक्षण के जरिए खुले में लड़ी जाएगी.
भाजपा का शीर्ष नेतृत्व इस संबंध में सवालों से बचने के लिए पूरे दिन मीडिया से कतराता नजर आया. हालांकि, ऐसी खबरें हैं कि कोई बीच का रास्ता निकालने के लिए गडकरी और मुंडे के ‘दूतों’ के जरिए चर्चा जारी है. मुंडे और गडकरी के बीच कई सालों से टकराव है.
महाराष्ट्र भाजपा में जब मुंडे और दिवंगत प्रमोद महाजन की तूती बोलती थी, उस समय गडकरी की कोई खास अहमियत नहीं थी. लेकिन गडकरी के भाजपा अध्यक्ष बन जाने के बाद समीकरण अचानक बदल गए. अध्यक्ष बनने के बाद गडकरी ने अपना प्रभाव स्थापित करने के प्रयास में प्रदेश इकाई में महत्वपूर्ण पदों पर मुंडे के करीबी समझे जाने वाले लोगों को हटा कर अपने नजदीकियों को नियुक्त करना शुरू किया. इससे दोनों में टकराव बढ़ता गया. पार्टी पर दबाव बनाने के लिए मुंडे ने पिछले 24 घंटे के भीतर कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी मोहन प्रकाश से दो बार मुलाकात की.
भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के निवास पर रविवार को मुंडे और गडकरी के बीच आमने सामने की वार्ता हुई लेकिन किसी नतीजे पर नहीं पंहुचा जा सका. बताया जाता है कि इसके बाद मुंडे ने देर रात एक होटल में प्रकाश से भेंट की. सोमवार सुबह भी दोनों में मुलाकात हुई. प्रकाश ने हालांकि मुंडे से बातचीत से इनकार किया है.
बताया जाता है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण के यहां रहने पर मुंडे ने उनसे भी मिले थे. इन घटनाक्रमों के बाद गडकरी ने नजदीकी लोगों ने कहा कि मुंडे कांग्रेस में जाने की तैयारी कर रहे हैं. हालांकि कुछ लोग इसे मुंडे की ओर से अपनाई जा रही दबाव की रणनीति के रूप में देख रहे हैं. मुंडे भी सार्वजनिक रूप से अभी तक यही कह रहे हैं कि उनके पार्टी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता.
मुंडे का महाराष्ट्र भाजपा में अपना अलग महत्व है. वह पिछड़े वर्गों में अच्छा प्रभाव रखने वाले महत्पूर्ण ओबीसी नेता हैं. प्रदेश में उन्हें भाजपा का अकेला जन नेता माना जाता है. भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व इस सवाल से जूझ रहा है कि क्या कोई सौहार्दपूर्ण रास्ता निकाला जा सकता है या मुंडे पार्टी छोड़ देंगे. मुंडे के पार्टी छोड़ने से महाराष्ट्र में भाजपा के पिछड़े वर्गो में जनाधार का बड़ा झटका लग सकता है.