श्रीकृष्णा समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि हैदराबाद की जनसंख्या में 41 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले मुस्लिम अलग तेलंगाना राज्य का निर्माण नहीं चाहते. रिपोर्ट के अनुसार वे अविभाजित आंध्र प्रदेश में अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे.
हालांकि शेष तेलंगाना क्षेत्र में इस समुदाय के सदस्य आंध्र प्रदेश से अलग राज्य बनाने के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि अखंड प्रदेश में वे पिछड़े रहे हैं और अलग राज्य बनने पर उन्हें शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में और मौके मिलेंगे.
समिति ने अपनी 461 पन्नों की रिपोर्ट में कहा, ‘नये प्रदेश में आरक्षण बढ़ने की उम्मीद अलग राज्य की उनकी मांग के पीछे एक बड़ा कारण है.’ अलग प्रदेश में उन्हें 12 प्रतिशत आरक्षण मिल सकता है. फिलहाल आंध्र प्रदेश में मुस्लिमों को चार प्रतिशत आरक्षण प्राप्त है.
रिपोर्ट कहती है कि अविभाजित आंध्र प्रदेश में मुस्लिमों को रोजगार की कमी, उर्दू को दूसरी भाषा के तौर पर लागू नहीं करने, उर्दू शिक्षकों की कमी आदि शिकायतें हैं.
{mospagebreak} समिति ने कहा कि मुस्लिमों ने उसे बताया कि तेलंगाना में हिंदुओं और मुस्लिमों के बीच कोई सांप्रदायिक या सांस्कृतिक विभाजन नहीं है और वे एक अलग राज्य में भाईचारे के साथ रह सकते हैं.
आम धारणा के विपरीत रिपोर्ट में कहा गया है कि मुस्लिमों के अनुसार तेलंगाना अल्पसंख्यकों के लिए असुरक्षित नहीं रहेगा. वहीं रायलासीमा और तटीय आंध्र के मुस्लिम एक अविभाजित प्रदेश के पक्ष में हैं. उनका मानना है कि उन्हें साथ में रहना चाहिए और प्रदेश के संसाधनों का इस्तेमाल समान रूप से करना चाहिए.
हैदराबाद के मुस्लिमों के बारे में रिपोर्ट कहती है कि शहर के अधिकतर मुसलमान एआईएमआईएम को अपना राजनीतिक प्रतिनिधि मानते हैं.
रिपोर्ट कहती है कि एआईएमआईएम तेलंगाना के बजाय अविभाजित आंध्र प्रदेश को तरजीह देता है.