चर्चित भट्टा-पारसौल मामले में आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ अदालत के रूख से उत्साहित राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने कहा है कि बलात्कार जैसे गंभीर मामले में पीड़ित महिलाओं की शिकायतों के बावजूद अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं होने पर नोएडा पुलिस पर जुर्माना लगना चाहिए.
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आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने कहा, ‘पीड़ित महिलाओं की ओर से शिकायतों के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं करना खुद में अपराध है. इसके लिए पुलिस पर जुर्माना लगना चाहिए. हम यह नहीं कह रहे आरोप पत्र दाखिल कर दिया जाए लेकिन प्राथमिकी दर्ज करके मामले की जांच तो होनी चाहिए.’
पुनिया ने गौतम बुद्ध नगर की जिला अदालत के कल के उस फैसले का भी स्वागत किया जिसमें गांव की एक महिला का कथित तौर पर बलात्कार करने वाले 15 पुलिसकर्मियों तथा एक पीएसी कमांडेंट के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया गया.
अदालत ने सोमवार को पुलिस की पुनरीक्षण याचिका खारिज कर दी जिसमें प्राथमिकी दर्ज करने के निचली अदालत के आदेश को चुनौती दी गई थी.
इससे पहले अनुसूचित जाति आयोग ने सात पीड़ित महिलाओं के हलफनामों के आधार पर नोएडा के एसएसपी को आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करने का निर्देश दिया था. चार बार सुनवाई के लिए समन का जवाब नहीं देने पर आखिरकार आयोग ने नोएडा एसएसपी ज्योति नारायण के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया था.
इसके अलावा, राष्ट्रीय महिला आयोग ने भी मामला दर्ज करने के लिए कहा था लेकिन साथ ही चेताया था कि अगर आरोपी पुलिसकर्मियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई तो आयोग अदालत की शरण में जा सकता है.
पुनिया ने कहा, ‘हम पीड़ित महिलाओं को न्याय दिलवाकर रहेंगे. न्याय में थोड़ी देरी हो सकती है लेकिन उससे इंकार नहीं किया जा सकता.’ उन्होंने कहा, ‘यूपी सरकार का संविधान और कानून से विश्वास उठ गया है. तमाम निर्देशों के बावजूद अब तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.’