संप्रग सहयोगियों में पेट्रोल मूल्यवृद्धि को लेकर नाराजगी बढ़ रही है तथा दो और घटक दलों ने इस पर चिंता जतायी है. इससे पहले गठबंधन के प्रमुख घटक तृणमूल कांग्रेस ने चेतावनी दी थी कि यदि बढ़ी हुई मूल्यवृद्धि को वापस नहीं लिया गया तो वह सरकार से अलग हट जायेगी.
राकांपा और नेशनल कांफ्रेंस ने हाल में हुई मूल्यवृद्धि पर चिंता जतायी है लेकिन उन्होंने सत्तारूढ़ गठबंधन से समर्थन वापस लेने जैसी कोई बात नहीं कही है. दोनों दलों ने कहा कि है कि बार-बार पेट्रोल की कीमतों में इजाफे से आम आदमी पर असर पड़ता है और इससे सरकार के खिलाफ मुद्दा खड़ा होगा. नवीन एवं अक्षय उर्जा मंत्री तथा नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने कहा, ‘अगली कैबिनेट बैठक में इस पर चर्चा की जायेगी.’ शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी चाहती है कि ईंधनों की कीमत पर लगाम लगाने के लिए कोई तंत्र होना चाहिए.
राकांपा महासचिव तारिक अनवर ने कहा, ‘हम काफी चिंतित हैं. सरकार को पेट्रोल की कीमतों में होने वाले बार बार इजाफे पर लगाम लगाने के लिए कोई तंत्र बनाना चाहिए.’ इस मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस द्वारा सरकार से हटने की धमकी दिये जाने के बारे में पूछने पर अनवर ने कहा, ‘हमारी ऐसी कोई योजना नहीं है.’ अब्दुल्ला और अनवर ने ध्यान दिलाया कि सरकार ने डीजल और रसोई गैस के दामों को छुआ भी नहीं है जिसका इस्तेमाल अधिकतर लोग करते हैं.
अब्दुल्ला ने कहा, ‘पेट्रोल में मूल्यवृद्धि अंतरराष्ट्रीय बाजार पर निर्भर करती है, लेकिन फिर भी उन्होंने डीजल के दाम काफी कम रखे हैं क्योंकि अधिकतर डीजल यहीं काम आता है.’ उन्होंने कहा, ‘हम गुस्सा या परेशान नहीं है. हमें लगता है कि इसे नियंत्रण में रखने के लिए हमें मिल कर काम करना पड़ेगा.’ भाकपा के राष्ट्रीय महासचिव ए. बी. वर्धन ने सप्रंग और भाजपा पर एक साथ भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगाते हुए कहा कि जहां तक नई लचीली आर्थिक नीति का प्रश्न है, इस मामले में कांग्रेस और भाजपा का दृष्टिकोण एक ही है. उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा केवल इस होड़ में हैं कि एक राज करने वाला दल है तो दूसरा विरोधी दल के रूप में काम करने की कोशिश कर रहा है.
वर्धन ने कहा कि ऐसी सूरत में जब इन दोनों दलों के केंद्र में अगली बार सत्ता में आने की संभावना नहीं है, देश के सामने वास्तविक रूप में एक परिस्थिति है कि यहां के मतदाता और जनता एक विकल्प की तलाश में हैं. उन्होंने कहा कि अगले लोकसभा चुनाव में उक्त विकल्प का स्वरूप क्या होगा, इस बारे में अभी कुछ कहा नहीं जा सकता लेकिन उसकी अवधारणाएं स्पष्ट हैं. वर्धन ने कहा कि निश्चित तौर पर उक्त विकल्प धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक तो होगा ही साथ-साथ वामपंथी रूझान वाला भी होगा क्योंकि धर्मनिरपेक्षता इस देश की एकता और सामाजिक प्रगति के लिए आवश्यक है.