बिहार पुलिस को गत वर्षों की तरह 2010 में भी नक्सलियों के साथ दो-दो हाथ करना महंगा पड़ा और प्रदेश में विभिन्न पुलिस-नक्सली मुठभेड़ों में इस वर्ष चरमपंथियों की तुलना में दोगुनी संख्या में पुलिसकर्मी शहीद हुए. अलग-अलग नक्सली हमलों में इस साल कुल 49 नागरिकों की जान गयी.
माओवादियों ने 10 जनवरी को भागलपुर जिले के अकबरनगर-शाहकुंड रोड पर चंदन पुल के समीप स्थित बिहार सैन्य बल के एक शिविर पर हमला कर तीन जवानों को घायल कर दिया तथा कुछ हथियार लूट लिए.
13 फरवरी को गया जिले के मझियावां गांव में पुलिस. नक्सली मुठभेड में टेकारी के थाना प्रभारी मिथिलेश प्रसाद शहीद हो गए. इस मुठभेड में एक माओवादी को पुलिस ने मार गिराया और एक को धर दबोचा.
23 मार्च को नक्सलियों ने एक मुठभेड के दौरान सीतामढ़ी जिले के बेलसंड में एक थाना प्रभारी वीरेंद यादव सहित छह सैप के जवानों को गोली मारकर घायल कर दिया. इसी दिन नक्सलियों ने शिवहर जिले में एक पुलिस जीप में आग लगा दी. 17 अप्रैल को गया के आजाद बिगहा में नक्सलियों ने सैप के दो जवानों को गोली मारकर घायल कर दिया.
तीन मई को औरंगाबाद जिला के टंडवा बाजार के समीप एक पुलिस गश्ती दल पर नक्सलियों के हमले में चार पुलिसकर्मी शहीद हो गए. इस हमले में माओवादियों ने पुलिस से कुछ हथियार लूट लिए. तीन जून को मुंगेर के बघेल जंगली इलाके में पुलिस के साथ मुठभेड में दो नक्सली मारे गए.{mospagebreak}
29 अगस्त को लखीसराय जिले के रामटालनगर गांव के समीप मुठभेड में सात पुलिसकर्मी शहीद हो गए, जबकि छह सैप जवान और एक होमगार्ड सहित कुल सात जवान घायल हो गए. यहां माओवादियों ने कुछ हथियार लूटे और चार पुलिसकर्मियों का अपहरण कर लिया. अपहृत पुलिसकर्मियों में से एक लुकास टेट की माओवादियों ने तीन अगस्त को हत्या कर दी और अन्य तीन बंधकों अवर निरीक्षक रूपेश कुमार, अभय प्रसाद यादव तथा बीएमपी हवलदार एहतशाम खान को बाद में रिहा कर दिया.
22 अक्टूबर को शिवहर जिले के झिटकिया गांव के समीप नक्सलियों द्वारा बिछाई गई एक बारूदी सुरंग की चपेट पुलिस का एक वाहन आ गया और श्याम भिट्टा थाना प्रभारी प्रवीण कुमार सिंह और सैप के चार जवान भरत महतो, महेश कुमार, जय कुमार सिंह, परहमंस शुकला, और वाहन चालक होमगार्ड जवान हरिशंकर शाही शहीद हो गए. हादसे में एक सैप जवान घायल भी हुआ.
माओवादियों ने 23 मार्च को गया जिले के साओकला गांव के समीप जीटी रोड पर एक टोल प्लाजा पर हमलाकर एक निजी सुरक्षा गार्ड और एक ट्रक चालक की हत्या कर दी तथा कुछ हथियार और नकदी लूट ली.
17 फरवरी को माओवादियों ने जमूई जिले के फुलवरिया गांव पर हमला कर 11 ग्रामीणों की हत्या कर दी. नक्सलियों ने कोडा समुदाय के इन लोगों की हत्या लखन कोडा नामक एक कथित पुलिस मुखबिर की निशानदेही पर अपने आठ साथियों की हत्या के विरोध में की.{mospagebreak}
21 मई को शिवहर जिले के रामबान गांव पर हमला कर पांच ग्रामीणों की हत्या कर दी थी और एक को घायल कर दिया था.
11 जुलाई को नक्सलियों ने कैमूर जिला के लोदा गांव पर हमला कर 11 ग्रामीणों को अगवा कर लिया और उनके लाईसेंसी हथियार लूटकर फरार हो गए. ग्रामीणों को उन्होंने गत 13 जुलाई को छोड दिया. माओवादियों ने गत 13 अगस्त को बिहार विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी के एक सहयोगी को दिन-दहाडे अगवा कर लिया और जन अदालत लगाकर उनकी पिटाई की थी.
अपने एक शीर्ष नेता मुसाफिर सहनी की गिरफ्तारी के विरोध में नक्सलियों ने 28 अगस्त को बिहार बंद की घोषणा की. अगले दिन उन्होंने शिवहर जिला के लदौरा गांव में प्रखंड विकास पदाधिकारी मनोज सिंह को अगवा कर लिया था. उन्हें दो दिन बाद छोड़ा गया.
बिहार में इस वर्ष नवंबर महीने तक कुल 160 नक्सली वारदातें पुलिस के साथ 21 बार उनकी मुठभेड़ हुई. नक्सलियों के साथ हुई मुठभेडों और अन्य छापामारी के दौरान पुलिस ने उनके आठ शिविरों को ध्वस्त किया और 331 नक्सलियों को गिरफ्तार किया जबकि 14 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया.
वर्ष 2010 में पुलिस ने नक्सलियों के पास से कुल 130 हथियार बरामद किए जिनमें पुलिस से लूटे गये गए हथियार शामिल हैं. माआवादियों के पास से 17,995 किलोग्राम विस्फोटक, 1,96,192 डेटोनेटर, 83 बारूदी सुरंग एवं केन बम तथा लोगों से लेवी के तौर पर वसूले गये 35,25,685 रूपये भी बरामद किए गए.
नक्सलियों ने अपने विभिन्न हमलों में इस वर्ष पुलिस थाना, सामुदायिक भवन और स्कूल सहित कुल 15 सरकारी भवनों को विस्फोटक लगाकर क्षतिग्रस्त कर दिया.