115 दिनों के अनशन के बाद दम तोड़ने वाले संन्यासी की मौत अब सीधी-सादी मौत नहीं बल्कि रहस्यों में लिपटी कहानी नज़र आने लगी है.
स्वामी निगमानंद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने कई सवाल खड़े किए हैं. दूसरी तरफ़ निगमानंद के गुरु और मातृ आश्रम के मुखिया स्वामी शिवानंद इसमें साज़िश का अंदेशा ज़ाहिर कर रहे हैं. गुरु शिवानंद पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर भी सवाल उठा रहे हैं. उनका आरोप है कि प्रशासन उत्तराखंड सरकार के दबाव में काम कर रहा है.
स्वामी निगमानंद के परिवार के लोगों को भी अंदेशा है कि उन्हें ज़हर देकर मारा गया. निगमानंद की पोस्टमार्टम रिपोर्ट कहती है कि उनकी मौत ख़ून में ज़हर फैलने से हुई.
अस्पताल में उन्हें सेप्टीसीमिया हुआ जिसकी वजह से ख़ून में ज़हर फैल गया. उनकी मौत के पीछे कोमा और डिजेनेरेटिव ब्रेन डिसऑर्डर भी वजह बना. अभी विसरा की फोरेंसिक जांच होना बाक़ी है. निगमानंद का विसरा जांच के लिए आगरा भेजा जाएगा.
क्या है सेप्टिसीमिया?
सेप्टीसीमिया का मतलब वो हालत जब खून में बैक्टीरिया का इन्फेक्शन यानी संक्रमण हो जाता है. बैक्टीरिया के इनफेक्शन से खून में जहर बनने लगता है. सर्जरी के दौरान, संक्रमित सीरींज और निडिल के इस्तेमाल से सेप्टिसीमिया होने का खतरा होता है.
सेप्टिसीमिया को इसीलिए आम बोलचाल की भाषा में ब्लड प्वॉयजनिंग भी कहा जाता है. सेप्टिसीमिया खून के जरिए पूरे शरीर में फैल जाता है. और इस तरह ये संक्रमित अंग से शरीर के दूसरे हिस्से में फैल जाता है. कटने, जलने या किडनी और फेफड़े के संक्रमण से भी सेप्टिसीमिया होता है. ई कोलाई, न्यूमोकॉकस, स्ट्रैप्टोकॉकस आदि बैक्टीरिया से सेप्टिसीमिया होता है. कंपकंपी के साथ ठंड, पसीना तेज बुखार सेप्टीसीमिया के लक्षण हैं.
गुरु शिवानंद पहले से कहते रहे हैं कि निगमानंद को ज़हर दिया गया. वो तो यहां तक कहते हैं कि अनशनकारी साधु की बिगड़ती हालत को नज़र अंदाज़ किया गया और प्रशासन उन्हें मौत के मुंह में जाते देखता रहा.