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खनल ने दिया इस्तीफा, नेपाल में राजनीतिक अनिश्चितता

नेपाल में मुश्किल से घिरे प्रधानमंत्री झाला नाथ खनल ने मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और उनके (खनल के) प्रमुख सहयोगी माओवादियों के दबाव के आगे झुकते हुए इस्तीफा दे दिया है. इस वजह देश नये राजनीतिक संकट में फंस गया है.

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नेपाल में मुश्किल से घिरे प्रधानमंत्री झाला नाथ खनल ने मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस और उनके (खनल के) प्रमुख सहयोगी माओवादियों के दबाव के आगे झुकते हुए इस्तीफा दे दिया है. इस वजह देश नये राजनीतिक संकट में फंस गया है.

राष्ट्रपति राम बरन यादव के प्रेस सलाहकार राजेंद्र दहल ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने अपना इस्तीफा दे दिया और राष्ट्रपति ने इस्तीफा स्वीकार करने के बाद उनसे फिलहाल कार्यवाहक के रूप में काम करने को कहा है.’ राष्ट्रपति कार्यालय ने कहा कि नये प्रधानमंत्री के चुनाव की प्रक्रिया सोमवार को शुरू होगी.

इससे पहले 61 वर्षीय खनल ने सीपीएन यूएमएल की केंद्रीय समिति में नेताओं से कहा कि वह इस्तीफा दे देगे.

सीपीएन यूएमएल केंद्रीय समिति की बैठक के समापन के बाद प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैं अपने वादे के अनुसार इस्तीफा दूंगा. मैं आज ही इस्तीफा दूंगा और कल सदन को संबोधित करूंगा.’
संसद में 17 चरण के चुनाव के बाद तीन फरवरी को प्रधानमंत्री निर्वाचित हुए खनल ने इसी महीने की शुरूआत में कहा था कि यदि 2006 की शांति प्रक्रिया पर ठोस प्रगति नहीं हुई तब वह इस्तीफा दे देगे. खनल की गठबंधन सरकार देश की सबसे कम समय की कम्युनिस्ट सरकार हुई है. खनल सरकार महज छह माह सत्ता में रहे .

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मुख्य विपक्षी दल नेपाली कांग्रेस, खनल के प्रमुख सहयोगी माओवादियों और तराई के मधेशी फ्रंट उन पर बात के लिए दबाव बना डाल रहे थे कि 28 मई को 601 सदस्यीय संविधान सभा का विस्तार करते हुए उन्होंने 29 मई को जो पांच सूत्री समझौते किए थे और उसके तहत जो वादा किया था उसका वह सम्मान करें.

नेपाली कांग्रेस के नेता राम शरण महत ने आज ही कहा था, ‘‘प्रधानमंत्री के इस्तीफे के सिवा कोई विकल्प नहीं है.’’ संसद में सबसे बड़े दल माओवादी पार्टी और नेपाली कांग्रेस दोनों ने ही राष्ट्रीय सरकार की अगुवाई करने का दावा किया है.

माओवादियों ने अपने उपाध्यक्ष बाबूराम भट्टराई को अगले प्रधानमंत्री के रूप में पेश किया था. माओवादी अगली सरकार बनाने के प्रयास में जुटे हैं.
भट्टराई ने पहले ही अन्य राजनीतिक दलों के साथ विचार विमर्श शुरू कर दिया है. उन्होंने शांति प्रक्रिया के समापन और नये संविधान के मसौदे को तैयार करने के कार्य को पूरा करने के लिए राष्ट्रीय सहमति की सराकर के गठन की आवश्यकता पर बल दिया. हालांकि नेपाली कांग्रेस अबतक यह तय नहीं कर पाई कि किसे :किस नेपाली कांग्रेस नेता का: समर्थन किया जाए क्योंकि पूर्व प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा और पार्टी संसदीय दल के नेता रामचंद्र पौडियाल दोनों ही इस पद के लिए दावा कर रहे हैं.

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नेपाली कांग्रेस की केंद्रीय समिति के सदस्य बिमलेंद्र निधि ने कहा कि वर्ष 2008 में संविधान सभा चुनाव के बाद माओवादी और सीपीएन यूएमएल दोनों को पहले ही सरकार का नेतृत्व करने का अवसर मिल चुका है अब नेपाली कांग्रेस की बारी है.

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