यह दावा करने के तीन दिन बाद कि जब कोयले का खनन किया ही नहीं गया तो कोयला ब्लॉक आवंटन में फायदा या घाटे का सवाल ही नहीं उठता, केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम ने सोमवार को कहा कि सरकार ने 'शून्य घाटा' शब्द का कभी इस्तेमाल नहीं किया. चिदम्बरम ने एक लिखित बयान में कहा, "हम में से कसी ने भी 'शून्य घाटा' मुहावरे का इस्तेमाल नहीं किया. फिर भी प्रेस के एक धड़े ने गलत तरीके से खबर दी कि सरकार का दावा है कि कोयला ब्लॉक के आवंटन में शून्य घाटा हुआ.
उन्होंने कहा, "सच तो यह है कि मैंने कहा था: जब कोयले का खनन नहीं हुआ, जब कोयला धरती में दबा हुआ है तब घाटा कहां हुआ. घाटा तभी हो सकता था जब धरती से एक टन कोयला बाहर निकाला जाता और उसे अस्वीकार्य मूल्य पर बेचा जाता.
वित्त मंत्री ने शुक्रवार को कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि कोयला ब्लॉक आवंटन पर आधिकारिक अंकेक्षक द्वारा बनाई गई प्रकल्पित हानि की धारणा दोषपूर्ण है.
ज्ञात हो कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि निजी कम्पनियों को कोयला ब्लॉकों के आवंटन में पारदर्शिता नहीं रखने के परिणामस्वरूप राजकोष को 1.85 लाख रुपये (37 अरब डॉलर) का नुकसान हुआ. चिदम्बरम ने कहा कि मीडिया के एक धड़े ने उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया.
वित्त मंत्री ने कहा, "मैंने कहा था कि फायदे या घाटे का सवाल तब उठता जब 57 ब्लॉकों में से किसी से कोयले का खनन वास्तव में किया जाता. जब कोयले का खनन नहीं किया जा रहा है, तब फायदे या घाटे का सवाल ही नहीं है. मैंने यही कहा था. इसलिए कृपया मेरे बयान को शुद्धतापूर्वक पेश करें.