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बिहार विधानमंडल के शीत सत्र में पेश होगा नया लोकायुक्त विधेयक

बिहार सरकार द्वारा ‘व्यापक लोकायुक्त प्रारुप’ पर विचार विमर्श के बाद उसे जनता से सुझाव के लिए हरी झंडी देने के साथ इस विधेयक को विधानमंडल के आगामी शीत सत्र में पेश करने का रास्ता साफ हो गया.

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बिहार सरकार द्वारा ‘व्यापक लोकायुक्त प्रारुप’ पर विचार विमर्श के बाद उसे जनता से सुझाव के लिए हरी झंडी देने के साथ इस विधेयक को विधानमंडल के आगामी शीत सत्र में पेश करने का रास्ता साफ हो गया.

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मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लोकायुक्त अधिनियम के नये प्रारुप पर विचार विमर्श किया गया. इसमें मुख्यमंत्री सहित मंत्रियों, विधायकों, विधानपरिषद के सदस्यों और सभी वर्ग के सरकारी कर्मचारियों और सरकारी निगमों को लोकायुक्त कार्यालय के अधीन लाने का प्रावधान है.

बैठक के संबंध में मंत्रिमंडल विभाग के प्रधान सचिव रविकांत ने संवाददाताओं से कहा, ‘मंत्रिमंडल ने नये लोकायुक्त कानून के संबंध में प्रारुप पर विचार कर उस पर जनता से टिप्पणियां मंगाने को मंजूरी दे दी. नये लोकायुक्त कानून के प्रारूप पर सामान्य प्रशासन विभाग के माध्यम से टिप्पणियां मंगाई जाएंगी. 22 नवंबर तक इस प्रारुप के संबंध आम जनता अपने सुझाव विभाग की वेबसाइट पर दे सकेगी.’

उन्होंने कहा कि जनता के सुझाव प्राप्त करने के बाद उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता में गठित एक समिति प्रारुप को अंतिम रूप देगी जिसे विधेयक के रूप में विधानमंडल के दो दिसंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा.

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उपमुख्यमंत्री की अध्यक्षता गठित दो सदस्यीय समिति को प्रारुप को अंतिम रूप देने का जिम्मा दिया गया है. इस समिति में राज्य विधि मंत्री और जल संसाधन मंत्री भी सदस्य होंगे.

रविकांत ने बताया कि नये लोकायुक्त विधेयक के प्रारूप को अंतिम रूप दिये जाने से पहले राज्य के मान्यता प्राप्त सभी विपक्षी दलों के साथ व्यापक विचार विमर्श किया जाएगा. उन्होंने बताया कि मौजूदा एक सदस्यीय लोकायुक्त के बदले राज्य में अब बहुसदस्यीय लोकायुक्त संस्था होगी. नये प्रारूप में एक लोकायुक्त के स्थान पर लोकायुक्त सहित तीन सदस्य होंगे. इसे व्यापक अधिकार दिये गये हैं.

उन्होंने बताया कि नये प्रारूप के अनुसार लोकायुक्त के पास जांच के लिए अब अपनी एजेंसी होगी और अभियोजन चलाने के अधिकार होंगे. राज्य में वर्तमान लोकायुक्त के पास अभी ये अधिकार नहीं है. इसके अलावा विशेष लोकायुक्त अदालत भी गठित करने का प्रावधान किया गया है.

रविकांत ने बताया कि अभी बिहार लोकायुक्त अधिनियम 1973 के तहत इस संस्था के दायरे में केवल लोकसेवक आते हैं. लोकायुक्त मामले की जांच करने के बाद कार्रवाई के लिए संबंधित विभागों को उनके खिलाफ कार्रवाई के लिए भेजता है.

प्रधान सचिव ने बताया कि राज्य में अभी लोकायुक्त के चयन को मंजूरी कैबिनेट के फैसले से दी जाती है. नये प्रारूप के अनुसार लोकायुक्त और अन्य सदस्यों का चयन करने के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति होगी. इसमें विधानसभा में विपक्ष के नेता, मुख्यमंत्री द्वारा नामित एक व्यक्ति, निवर्तमान लोकायुक्त, उच्च न्यायालय के दो वर्तमान जज और एक गणमान्य नागरिक को सदस्य बनाया जाएगा. यह समिति लोकायुक्त और लोकायुक्त के दो अन्य न्यायिक तथा गैर न्यायिक सदस्यों का चुनाव करेगी.

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मंत्रिमंडल की बैठक में 19 प्रमुख एजेंडों पर विचार विमर्श कर मंजूरी दी गयी. राज्य सरकार ने अगले पांच वर्ष में राज्य के ढाई करोड़ वयस्कों के यूआईडी कार्ड को ई शक्ति कार्ड के साथ जोड़ने का निर्णय किया है. पांच वर्ष में इस पर 674 रुपये का खर्च आयेगा. यूआईडी कार्ड की सभी सूचनाओं को ई शक्ति कार्ड में शामिल किया जाएगा. रविकांत ने बताया कि सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास योजना के क्रियान्वयन के लिए योजना एवं विकास विभाग को नोडल विभाग के रूप में नामित किया गया है. अब इस योजना के क्रियान्वयन के लिए जिला योजना पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया गया है.

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