नोएडा की बहुचर्चित निठारी कांड में 14 वर्षीय रिंपा हलदर की हत्या करने के मामले में सुरिंदर कोली को सुनाई गयी मौत की सजा को बरकरार रखते हुए उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि यह मामला भयावह और बर्बर था.
न्यायमूर्ति मार्कंडेय काटजू और न्यायमूर्ति ज्ञानसुधा मिश्रा की पीठ ने 39 वर्षीय कोली को सुनाई गयी मौत की सजा पर अपनी मुहर लगाई. निचली अदालत ने नोएडा के पास निठारी में लड़कियों के बलात्कार और उनकी हत्या के तीन मामलों में भी कोली को फांसी की सजा सुनाई थी.
कोली के खिलाफ कुल 16 मामले दर्ज किये गये थे. उसके मालिक मनिंदर सिंह पंढेर को रिंपा हलदर मामले में मौत की सजा सुनाई गयी थी लेकिन बाद में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने उसे बरी कर दिया। 54 वर्षीय पंढेर पर अन्य मामलों में मुकदमे चल रहे हैं.
पीठ ने कहा, ‘हमारे विचार से यह मामला दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है और उसके प्रति कोई दया नहीं दिखाई जा सकती.’ कोली के इकबालिया बयान पर अदालत ने कहा, ‘मजिस्ट्रेट के समक्ष स्वेच्छा से अपराध कबूला गया है और इसमें कोई कमी नहीं है.’ कोली ने अपने बयान में इस बात का जिक्र किया था कि वह किस तरह लड़कियों को बहलाता था और उन्हें बाद में मार देता था.{mospagebreak}
सबसे पहले गाजियाबाद की सीबीआई विशेष अदालत ने कोली को मौत की सजा सुनाई थी जिसे उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा और आज उच्चतम न्यायालय ने भी अपनी मुहर लगा दी. पीठ ने 16 मामलों में से पहले में उसकी अपील को खारिज कर दिया.
वहीं शीर्ष अदालत ने पंढेर को बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ सीबीआई की अपील पर अपना फैसला लंबित रखा. अदालत ने कहा कि सीबीआई की अपील पर फैसला करने से पहले वह अन्य मामलों में नतीजों का इंतजार करेगी जिनमें पंढेर अपने नौकर कोली के साथ आरोपी है.
कोली को गाजियाबाद की अदालत ने 13 फरवरी 2009 को पंढेर के साथ मौत की सजा सुनाई थी. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 11 सितंबर 2009 को कोली की मौत की सजा को बरकरार रखा लेकिन पंढेर को आरोपमुक्त कर दिया.
इसके बाद मृत रिंपा के पिता अनिल हलदर ने पंढेर को बरी किये जाने के फैसले के खिलाफ चुनौती दी थी और उसे भी मौत की सजा दिये जाने की मांग की थी.
पंढेर के घर के पास रहने वाली रिंपा 2005 में अपने घर से लापता हो गयी थी. नोएडा में पंढेर के घर के पीछे नरकंकाल मिलने के बाद निठारी का यह सनसनीखेज मामला सामने आया.