चुनावी गर्मी में नेताओं की जुबान फिसल रही है. ताजा मामला है बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी का. गडकरी बलात्कार पीड़ितों को इंसाफ दिलाने की बात करते-करते बलात्कार के आरोपी का हाथ काटने की बात कर बैठे. गडकरी ने कहा, बलात्कारियों के हाथ कलम होने चाहिए. किसी की हिम्मत नहीं होनी चाहिए मां बहनों की इज्जत पर हाथ डालने की.
चाल, चरित्र और गडकरी ने इलाहाबाद में मीडिया से रूबरू होते वक्त ये बयान दिया. गडकरी जी, क्या आपका ये बयान लोगों को खुद इंसाफ करने के लिए नहीं उकसाएगा? क्या आप तालिबानी इंसाफ की बात नहीं कर रहे? गडकरी ने जो कुछ कहा उस पर बवाल मचना स्वाभाविक था.
कांग्रेस ने तुरंत मुद्दे को लपक लिया. कांग्रेसी नेता राजीव शुक्ला ने कहा, 'गडकरी अब कोई स्थानीय नेता नहीं रह गए हैं बल्कि एक राष्ट्रीय पार्टी के अध्यक्ष हैं और उन्हें ऐसा बयान नहीं देना चाहिए. ऐसा पहली बार नहीं है जब अपनी भाषा की वजह से गडकरी विवादों में फंसे हैं.
इससे पहले भी उनके कई बयानों पर विवाद मच चुका है. यूपी का मौसम सर्द है. लेकिन चुनावी जंग से नेताओं का पारा चढ़ा हुआ है. एक दूसरे पछाड़ने के चक्कर में नेताओं की जुबान ही फिसल रही है. ऐसे हम तो यही कहेंगे जुबान संभालके नेताजी.