शिवसेना प्रमुख बाल ठाकरे ने कहा है कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के सामने स्वामी विवेकानंद के बारे में की गयी टिप्पणी से वैसी ही स्थिति पैदा हो गयी है जैसी लालकृष्ण आडवाणी के सामने जिन्ना को धर्मनिरपेक्ष बताने से पैदा हुयी थी. उस समय आडवाणी को पार्टी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था.
ठाकरे ने हालांकि पिछले महीने ही महाराष्ट्र की कांग्रेस राकांपा सरकार से भूमि आवंटन में अवैध लाभ मिलने के आरोप में गडकरी का बचाव किया था.
शिवसेना के मुखपत्र ‘सामना’ में लिखे संपादकीय में पार्टी प्रमुख बाल ठाकरे ने कहा, ‘आडवाणी ने जिन्ना पर की गई टिप्पणी के बाद अपना आधार खो दिया और गडकरी को स्वामी विवेकानंद पर की गई टिप्पणी से उपजे विवाद के बाद झटका लगा है.’
उन्होंने कहा, ‘गडकरी ने सफाई दी कि उन्होंने स्वामी विवेकानंद और दाऊद की बराबरी नहीं की लेकिन उनकी पार्टी का एक भी नेता उनकी ओर से बोलता नहीं दिखा.’
ठाकरे ने लिखा, ‘गडकरी भी संशय में होंगे कि स्वामी विवेकानंद और दाऊद इब्राहिम के आईक्यू से जुड़ी टिप्पणी को लेकर आरएसएस उनका साथ देगा या नहीं.’ संपादकीय में लिखा गया, ‘गडकरी की स्थिति उस कहावत जैसी हो गई है, सुख के सब साथी दुख में न कोई.’
आडवाणी ने 2005 में पाकिस्तान की अपनी यात्रा के दौरान मोहम्मद अली जिन्ना को ‘धर्मनिरपेक्ष’ कहा था और उससे भारत में पैदा हुए विवाद के बाद उन्हें भाजपा के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना पड़ा था. स्वामी विवेकानंद पर गडकरी के बयान पर संघ ने भी आपत्ति जाहिर की.
संघ के प्रवक्ता राम माधव ने कहा था, ‘स्वामी विवेकानंद जैसे लोग दुनिया भर में काफी सम्मान की दृष्टि से देखे जाते हैं. इसलिए जब हम उनके बारे में बात करते हैं. हमें यह ध्यान रखना होगा कि उनसे लाखों लोगों की भावना जुड़ी हुयी है और हमें इस बारे में सतर्क रहना होगा.’