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नीतीश कुमार और शिवानंद तिवारी का ‘लाई डिटेक्टर’ टेस्ट हो: राजद

बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में लाभ लेने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी का झूठ पकड़ने वाली मशीन (लाई डिटेक्टर) से जांच कराने की मांग की.

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नीतीश कुमार
नीतीश कुमार

बिहार में मुख्य विपक्षी दल राजद ने करोड़ों रुपये के चारा घोटाले में लाभ लेने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जदयू प्रवक्ता शिवानंद तिवारी का झूठ पकड़ने वाली मशीन (लाई डिटेक्टर) से जांच कराने की मांग की.

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विधानसभा में विरोधी दल के नेता अब्दुल बारी सिद्दिकी ने कहा, ‘चारा घोटाला मामले में सीबीआई को नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी और जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह की ‘लाई डिटेक्टर’ मशीन से जांच होनी चाहिए. तीनों के खिलाफ चारा घोटाले में अनुचित लाभ लेने का रिकार्ड किया हुआ बयान डी चंडोक ने दिया है.’

उन्होंने बताया कि सीबीआई को तीनों की झूठ पकड़ने वाली मशीन से जांच करनी चाहिए और आरोपों को गंभीरता से लेना चाहिए.

सिद्दिकी ने कहा कि मुख्यमंत्री सारे विषय पर पर्दा डालने का प्रयास कर रहे हैं. यदि मुख्यमंत्री, तिवारी और सिंह निर्दोष हैं तो उन्हें सार्वजनिक रूप से इसका खंडन करना चाहिए, सदन में बयान देना चाहिए और अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

राजद नेता ने कहा, ‘हमने कई बार कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस देकर इस विषय को उठाने का प्रयास किया लेकिन विधानसभाध्यक्ष ने इसे खारिज कर दिया. संसदीय लोकतंत्र के लिए यह सही नहीं है.’

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मुख्यमंत्री ने सही प्रस्ताव के माध्यम से इस विषय को उठाने की चुनौती दी थी जिस पर सिद्दिकी ने कहा कि वह इसे स्वीकार करते हैं. चारा घोटाले के आरोप के संबंध में वह सीधा जवाब देने को तैयार हैं.

सिद्दिकी ने कहा, ‘एसबी सिन्हा और डी चंडोक ने चुनाव के मकसद के लिए तीनों नेताओं पर पैसा देने के जो रिकॉर्ड किये गये बयान दर्ज कराये हैं वे सही है या नहीं इस पर मुख्यमंत्री को अपनी स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए.

उन्होंने आरोप लगाया कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में केंद्र में मंत्री रहते हुए नीतीश कुमार ने अपने पद का दुरुपयोग किया था जिससे वह 1996-97 में सीबीआई के जांच के दायरे से वह बच गये थे.

मुख्यमंत्री इस मामले में पहले ही आरोपों का खंडन कर चुके हैं. विधानसभा के भीतर उन्होंने कहा था कि मामला अदालत के विचाराधीन है. इसलिए इसका जवाब अदालत में ही दिया जाएगा.

इसी प्रकार शिवानंद तिवारी ने कहा कि यह पुराना मुद्दा है. बार-बार इसे उठाया जाता है. इस विषय को फिर उठाने का मकसद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की छवि को धूमिल करना है.

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