जापान के परमाणु उर्जा संयंत्र से परमाणु विकिरण हवाई तक पहुंच जाएगा."/> जापान के परमाणु उर्जा संयंत्र से परमाणु विकिरण हवाई तक पहुंच जाएगा."/> जापान के परमाणु उर्जा संयंत्र से परमाणु विकिरण हवाई तक पहुंच जाएगा."/>
अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वह इस बात को लेकर कतई चिंतित नहीं हैं कि भूकंपग्रस्त जापान के परमाणु उर्जा संयंत्र से परमाणु विकिरण हवाई तक पहुंच जाएगा.
परमाणु विकिरण के अमेरिकी तटों तक पहुंचने संबंधी चिंताओं के बाबत पूछे जाने पर उन्होंने कहा ‘नहीं, मुझे इस बारे में आश्वस्त किया गया है. किसी प्रकार का परमाणु रिसाव अगर हवाई तक पहुंच भी जाता है तो भी समय के साथ वह नष्ट हो जाएगा और अमेरिका तक नहीं पहुंचेगा.’ उन्होंने पीट्सबर्ग टीवी को दिए साक्षात्कार के दौरान कहा ‘मेरा विचार है कि हमें परमाणु प्रौद्योगिकी में सुधार करने पर विचार करना चाहिए और हमारी सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए.’
उन्होंने कहा ‘हम लगातार निगरानी बनाए हुए हैं, मैंने इसे लेकर परमाणु नियामक आयोग से पूछा भी है. हम भूकंपीय गतिविधियों पर लगातार निगाह रखे हुए हैं.’
ओबामा ने कहा कि उर्जा के सभी स्रोत पूरी तरह से सुरक्षित नहीं हैं. अमेरिका ने पिछली गर्मियों में मेक्सिको की खाड़ी में व्यापक पैमाने पर हुए तेल रिसाव से यह सबक लिया.
उर्जा सचिव स्टिवन चू ने आज बताया कि ऊर्जा विभाग ने जापान को डिटेक्टर एवं विश्लेषण करने वाले उपकरणों सहित एक हवाई माप प्रणाली क्षमता देने का प्रस्ताव दिया है, ताकि विकिरण के कारण मिट्टी में होने वाले प्रदूषण का आंकलन किया जा सके. इसके अलावा विभाग का एक 34 सदस्यीय दल भी वहां भेजने का प्रस्ताव किया है.{mospagebreak}
व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव जे कार्ने ने बताया ‘हमने आपदा मामलों से जुड़े विशेषज्ञ, राहत और बचाव दल, तकनीक सलाहकार और परमाणु विशेषज्ञ वहां भेजने के अलावा अमेरिका की ओर से सैन्य सहायता मुहैया कराने का प्रस्ताव भी दिया है.’ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी राष्ट्रपति ओबामा को निरंतर इससे जुड़ी सभी जानकारियां मुहैया करा रहे हैं.
कार्ने ने कहा ‘जापान से आ रही सूचनाओं के मद्देनजर व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े अधिकारी विभिन्न एजेंसियों के विशेषज्ञों से चौबिसों घंटे समन्वय बनाए हुए हैं. अमेरिका परमाणु नियामक आयोग (एनआरसी) ने कहा है कि उन्होंने जापान सरकार की मदद के लिए नौ अतिरिक्त विशेषज्ञों को तोक्यो भेजा है.