फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन ने कहा है कि गांधी परिवार के प्रति उनकी भावनाओं में कोई परिवर्तन नहीं आया है तथा उनके मन में ‘कोई क्रोध, कोई आक्रोश’ नहीं है. अमिताभ और गांधी परिवार के सबंध गत कुछ वर्षों के दौरान तनावपूर्ण रहे.
अमिताभ ने 'आजतक' को दिए एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में कहा, ‘यह पहुंच का सवाल नहीं है. जब तक आप समझते हैं, मेरे लिए यह आवश्यक नहीं कि मैं प्रत्येक दिन आपसे मुलाकात करूं और आपकों बताउं कि मैं आपका मित्र हूं. हमने साथ समय बिताया है. संबंधों में ये चीजें मायने नहीं रखतीं.’
यह पूछे जाने पर कि क्या वह अभी भी गांधी परिवार के मित्र हैं, अमिताभ ने कहा, ‘निश्चित रूप से, मेरे मन में कोई बदलाव नहीं आया है. मैं उनका हमेशा सम्मान करूंगा. हम कुछ मौकों पर सार्वजनिक कार्यक्रमों के दौरान मिलते हैं. कोई क्रोध, कोई आक्रोश नहीं है. हम अभी तक बहुत सामान्य हैं.’
गौरतलब है कि अमिताभ अपने पुराने मित्र राजीव गांधी के सहयोग से वर्ष 1984 में राजनीति में आये. वह सफलतापूर्व इलाहाबाद लोकसभा सीट से चुनाव जीते. उन्हें तीन वर्ष बाद उन्हें उस समय त्यागपत्र दे दिया जब उनके परिवार को बोफोर्स घोटाले में खींचा गया.
बहरहाल अमिताभ इससे इनकार करते हैं कि घोटाले की वजह से दोनों परिवारों के बीच दूरियां आ गईं. वह बोफोर्स विवाद के बाद के दिनों को याद करते हुए कहते हैं कि उन दिनों सड़कों पर चलना मुश्किल हो गया था.
उन्होंने कहा, ‘जब मैं सड़क पर चलता था या शूटिंग के लिए जाता था लोग मेरे लिए अपशब्दों का इस्तेमाल करते थे. वे मुझे देशद्रोही कहते. हमने वह सभी झेला. मैं वह सब इसलिए झेल सका क्योंकि मेरे पास एक ऐसा परिवार था जो मेरे साथ खड़ा था.’
उन्होंने कहा, ‘हम अंतत: आरोपों से तब बाहर निकल पाये जब रॉयल कोर्ट आफ लंदन ने हमारे पक्ष में फैसला सुनाया. इसके साथ ही हम पर कुछ तीखे आरोप लगाने वाले कुछ लोगों ने हमसे अदालत के बाहर मुलाकात की. उन्होंने कहा कि यह अध्याय समाप्त हुआ और चलिये बाहर में समझौता कर लेते हैं तथा हमने अदालत के बाहर समझौता कर लिया.’
बहरहाल अमिताभ कड़वे दिनों को पीछे छोड़ना चाहते हैं तथा वह यह जानने को इच्छुक भी नहीं हैं कि घोटाले में उनका नाम किसने खींचा.
गौरतलब है कि जिस शख्स ने बोफ़ोर्स घोटाले की तह में जाकर जानकारियां निकाली थीं और भारतीय पत्रकार को मुहैया कराई थीं. उसी स्टेन लिंडस्टॉर्म ने कहा है कि स्वीडन के अखबार में अमिताभ का नाम भारतीय जांचकर्ताओं ने प्लांट किया गया था. लिंडस्टॉर्म उस दौरान स्वीडन पुलिस के प्रमुख थे. लिंडस्टॉर्म के मुताबिक उन्हें तफ़्तीश करने के लिए एक लिस्ट दी गई थी, जिसमें अमिताभ का नाम था, लेकिन अमिताभ का नाम उस लिस्ट में जानबूझकर डाला गया था.
अमिताभ बच्चन ने पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह द्वारा जेल में डालने की धमकी के खिलाफ अपनी लड़ाई को याद करते हुए कहा, 'चुनाव प्रचार के दौरान वीपी सिंह कहते थे कि मुझे प्रधानमंत्री बनाएं और मैं अमिताभ बच्चन को 24 घंटे के भीतर सलाखों के पीछे डाल दूंगा. जब वे प्रधानमंत्री बने तो मैंने उन्हें एक चिट्ठी लिखी...मिस्टर सिंह, अब आप इस देश के प्रधानमंत्री हैं आपने मुझे 24 घंटे में जेल भेजने की बात की थी. मैं आपको 3 महीने का वक्त देता हूं. अगर आप मुझ पर लगे आरोपों को साबित कर सकते हैं तो अब करें. लेकिन मुझे कोई जवाब नहीं मिला.'
उन्होंने कहा, ‘इतिहास की पुस्तकों से कुछ पंक्तियां हटाने से अधिक कुछ बदलने वाला नहीं है. क्या होगा यदि आपको पता भी चल जाए? आप कुछ नहीं कर सकते इसका प्रभाव केवल मेरे जीवन पर नहीं पड़ा. मैं एक सामान्य मनुष्य हूं. इसने पूरे देश के राजनीतिक परिदृश्य को बदल दिया.’
राजनीति के मामले में अमिताभ, अपने साथी शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना को खुद से बेहतर मानते हैं.
अमिताभ ने कहा, 'मैंने राजनीति को जाने बिना उसे छोड़ दिया. मात्र 2 साल के अंदर हार मान लिया. शत्रुघ्न सिन्हा और विनोद खन्ना इसमें सफल भी हुए लेकिन मैं नहीं.'
सोशल मीडिया पर प्रतिबंध को लेकर अमिताभ ने दृढ़ता से केंद्र सरकार को सलाह दी कि इसके लिए एक नियंत्रण मुक्त नीति होनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'एक प्रजातांत्रिक राष्ट्र में हर किसी कोई को अपनी बात रखने का पूरा हक है. माना कि यह माध्यम व्यापक है ऐसे में इस पर संवेदनशील और राष्ट्रविरोधी विचारों पर प्रतिबंध लगना चाहिए. लेकिन इसके इस्तेमाल का अधिकार हर किसी के पास होना चाहिए. मेरा मानना है कि सोशल मीडिया पर प्रतिबंध लगाना संविधान द्वारा दी गई आजादी का उल्लंघन है.'
'कौन बनेगा करोड़पति' के छठे सीजन के बार में अमिताभ ने कहा कि केबीसी के पिछले सीजनों की अपार सफलता के बावजूद उन्हें फ्लॉप होने का डर सताता है.
अमिताभ बच्चन ने कहा, 'डॉक्टर मुझे आराम करने की सलाह देते हैं क्योंकि मैं कई बार बीमार पड़ चुका हूं. लेकिन इसके बावजूद मैं अपने काम से प्यार करता हूं. मैं ऐसी परिस्थिति में नहीं पहुंचना चाहता जिसमें मुझे दबाव में कुछ करना पड़ा. मेरे जीवन में कई बार मुश्किल वक्त आएं है. मैं आर्थिक दिवालियेपन से गुजरा हूं और मैंने अपना सब कुछ खोया है. यह मेरे परिवार के लिए काफी मुश्किल समय था. मैं उन्हें एक बार और उस परिस्थिति में नहीं डालना चाहूंगा. और इसका डर ही मुझे काम करते रहने की प्रेरणा देता है.'