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'रामदेव के साथ परदे के पीछे कोई बात नहीं कर रही है सरकार'

केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि सरकार योगगुरु रामदेव के साथ परदे के पीछे कोई बातचीत नहीं कर रही है जो विदेशों में जमा कालेधन को वापस देश में लाने के मुद्दे पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं.

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केंद्रीय कानून मंत्री एम. वीरप्पा मोइली ने कहा कि सरकार योगगुरु रामदेव के साथ परदे के पीछे कोई बातचीत नहीं कर रही है जो विदेशों में जमा कालेधन को वापस देश में लाने के मुद्दे पर अनिश्चितकालीन अनशन पर बैठे हैं.

मोइली ने यहां संवाददाताओं से कहा कि किसी के भी साथ परदे के पीछे या कोई प्रत्यक्ष बातचीत नहीं हो रही है. वह चाहें रामदेव हों या कोई अन्य. उन्होंने लेकिन इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया कि क्या सरकार ने आठ दिन के आंदोलन को समाप्त कराने के लिए योगगुरु रामदेव से बातचीत के लिए आर्ट आफ लीविंग के संस्थापक श्री श्री रविशंकर से मदद मांगी है.

मोइली ने रविशंकर के उस बयान उनसे रामदेव से बातचीत करने को कहा गया है, मोइली ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि श्री श्री रविशंकर ने मुझसे बर्लिन और वहां से स्वदेश लौटने पर भी बात की थी. उन्होंने मुझसे पूछा कि ये क्या हो रहा है. जो कुछ भी हो रहा है उन्होंने उस पर चिंता जताते हुए कहा था कि वह रामदेव से बात करेंगे.

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उन्होंने कहा कि रविशंकर ने उन्हें बताया कि वह अपने दिवंगत पिता के लिए पूजा कराने के लिए हरिद्वार जाने वाले हैं जिनका हाल में निधन हो गया था. अपनी इस यात्रा के दौरान रामदेव से पूछेंगे कि वह अपना अनशन समाप्त करने के वादे से क्यों मुकर गए जबकि सरकार उनकी सभी मांगे स्वीकार कर ली हैं.

मोइली ने कहा कि श्री श्री ने मुझसे पूछा कि क्या वह रामदेव के साथ बातचीत के दौरान मेरे नाम का उल्लेख कर सकते हैं जिस पर मैं सहमत हो गया. इस बारे में स्पष्ट प्रतिक्रिया देने के लिए जोर दिये जाने पर कि क्या रविशंकर सरकार के दूत हैं, मोइली ने कहा कि मैं इस तरह के विवाद में नहीं पड़ता चाहता. मैं ऐसी चीजों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता.

दिल्ली के रामलीला मैदान में गत चार जून को पुलिस कार्रवाई कर के समर्थकों के साथ हटाये जाने के बाद हरिद्वार स्थित अपने आश्रम में अनशन पर बैठे रामदेव को स्वास्थ्य बिगड़ने पर शु्क्रवार को देहरादून के अस्पताल में भर्ती कराया गया.

मोइली ने भ्रष्टाचार और कालेधन के मुद्दे पर संप्रग सरकार पर किये जाने वाले हमले के लिए भाजपा को आड़े हाथों लेते हुए पार्टी नेताओं पर आरोप लगाया कि राजग शासन के दौरान कुछ भी नहीं करने के बाद अब वे जनता की नजरों में ‘हीरो’ बनने के प्रयास कर रहे हैं.

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उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राजग सरकार सात से आठ वर्षों तक सोती रही और कालेधन को वापस ले आने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. अब वे हीरो बनने के प्रयास कर रहे हैं.

मोइली ने दावा किया कि सरकार अभी तक विदेशी बैंकों में जमा 35 हजार से 40 हजार करोड़ रुपये वापस ला चुकी है तथा दोहरे कराधान से बचने के लिए 63 देशों के साथ संधि करने के अलावा भ्रष्टाचार पर रोक लगाने के वास्ते संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का अनुमोदन किया है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वह संप्रग सरकार थी जिसने अन्ना हजारे के इस आंदोलन में शामिल होने से पहले मजबूत लोकपाल विधेयक को कानून बनाने के लिए कदम उठाये और भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव का अनुमोदन किया.

मोइली ने कहा कि सरकार ने लोकपाल विधेयक का प्रस्ताव तैयार कर लिया था और उसे संसद के गत सत्र में ही पेश कर दिया गया होता लेकिन हजारे के हस्तक्षेप के कारण ऐसा नहीं हो सका.

उन्होंने कहा कि लोकपाल विधेयक का मसौदा 30 जून तक तैयार कर लिया जाएगा और उसे मंत्रिमंडल के समक्ष लाने के बाद उसे बाद में संसद में पेश किया जाएगा.

यद्यपि मोइली ने कहा कि यह विधायी उपाय है संवैधानिक संशोधन नहीं. उन्होंने हजारे की ओर से कानून लागू करने के लिए तय 15 अगस्त की समयसीमा की ओर से इशारा करते हुए कहा कि इस बारे में निर्णय संसद को करना है. कानून मंत्री ने कहा कि कई राज्यों ने केंद्र की लोकपाल विधेयक को लेकर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिये हैं. यह पूछे जाने पर कि क्या भाजपा शासित राज्यों ने भी अपने जवाब भेजे हैं, उन्होंने कहा कि भाजपा की इस बारे में रुचि नहीं है. उनकी रुचि सड़क पर संघर्ष में है.

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मोइली ने प्रधानमंत्री कार्यालय को इस विधेयक के दायरे में लाने का परोक्ष विरोध किया था. उन्होंने कहा कि यह सूचना के अधिकार का दौर है. यदि कोई लोकपाल के समक्ष प्रधानमंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज करता है, तो कोई भी संवेदनशील व्यक्ति (उस पद) कार्य करना जारी नहीं रख पाएगा. यह ऐसा मामला है जिसका हल देश को निकालना चाहिए.

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