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जम्मू कश्मीर में 1953 पूर्व स्थिति बहाली के खिलाफ आडवाणी की चेतावनी

अंतरराष्ट्रीय दबाव में जम्मू कश्मीर में 1953 से पूर्व की स्थिति बहाल करने के किसी प्रयास के खिलाफ सरकार को चेतावनी देते हुए भाजपा ने कहा कि इसके कारण देशभर में ऐसा आंदोलन होगा, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है.

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लाल कृष्ण आडवाणी
लाल कृष्ण आडवाणी

अंतरराष्ट्रीय दबाव में जम्मू कश्मीर में 1953 से पूर्व की स्थिति बहाल करने के किसी प्रयास के खिलाफ सरकार को चेतावनी देते हुए भाजपा ने कहा कि इसके कारण देशभर में ऐसा आंदोलन होगा, जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती है.

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आडवाणी ने एक रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘23 जून को जम्मू कश्मीर में परमिट राज के खिलाफ आंदोलन करते हुए डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी शहीद हुए. आज फिर सरकार विदेशी दबाव में कश्मीर पर समझौते और 1953 से पूर्व की स्थिति बहाल करने की बात करती है.’ उन्होंने कहा कि उस समय तो सिर्फ एक नेता (श्यामा प्रसाद मुखर्जी) थे, आज तो भाजपा का पूरे देश में व्यापक विस्तार हो गया है.

भाजपा के वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘अगर कश्मीर पर कोई समझौते की बात हुई, घड़ी को वापस मोड़ने की कोशिश हुई और 1953 से पूर्व की स्थिति बहाल करने का प्रयास किया गया तो इसके खिलाफ पूरे देश में ऐसा आंदोलन होगा जिसकी कल्पना नहीं की जा सकती.’ आडवाणी की टिप्पणी उस समय सामने आई है जब इस्लामाबाद में भारत और पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता हो रही है. आज बातचीत के दौरान कश्मीर पर चर्चा हो सकती है.

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भाजपा के एवरिष्ठ नेता वी के मल्होत्रा ने कहा कि कश्मीर पर देश की कोई स्पष्ट नीति नहीं दिखाई देती है. पाकिस्तान भारत से एक हजार वर्ष तक लड़ाई करने की बात करता है जबकि वह भूल जाता है कि पिछली लड़ाई में वह मुंह की खा चुका है.

आडवाणी ने देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की आलोचना करते हुए कहा कि सरदार पटेल ने साढ़े तीन वर्षों में 561 रजवाड़ों का भारत में विलय कराया लेकिन नेहरू के अदूरदर्शिता के कारण कश्मीर तक समस्या बनी हुई है.

उन्होंने कहा कि कुछ लोग तो मजाक में कहते हैं कि नेहरू ने कश्मीर समस्या के रूप में देश को सबसे बड़ा तोहफा दिया.

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