परमाणु हथियारों का पहले इस्तेमाल नहीं करने की भाजपा के नेतृत्व वाले राजग शासन के समय बनी नीति को बदलने की मुख्य विपक्षी दल की मांग को सरकार ने ठुकराते हुए कहा कि भारत अपने विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक सिद्धांत पर कायम है.
विदेश मंत्री एस एम कृष्णा ने भाजपा नेता एवं पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह द्वारा राजग सरकार के समय बनी पहले इस्तेमाल नहीं करने की नीति’ को बदलते समय के अनुरूप संशोधित करने की मांग को नामंजूर करते हुए लोकसभा में कहा, भारत अपने विश्वसनीय परमाणु प्रतिरोधक सिद्धांत पर कायम है.’
उन्होंने अपने मंत्रालय की अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि जहां तक पाकिस्तान के परमाणु हथियारों का सवाल है, तो वह उसकी संख्या में जाये बिना देश को यह आश्वासन देते हैं कि सरकार भारत की सुरक्षा के प्रभावकारी कदम उठाने के लिए प्रतिबद्ध है. {mospagebreak}
विदेश मंत्री ने कहा कि पाकिस्तान के साथ विश्वास में कमी को कम करने के लिए भारत वार्ता के जरिए सभी मुद्दों का समाधान चाहता है. लेकिन साथ ही उसकी यह चिन्ता कायम है कि सीमा पार आतंकवाद और पाकिस्तान की जमीन पर आतंकी संगठनों के शिविरों का होना भारत सहित पूरे क्षेत्र के हित में नहीं है.
चीन द्वारा भारत की सीमा से सटे क्षेत्रों में सैन्य तैयारी और सामरिक ढांचे के निर्माण के संदर्भ में सदस्यों की चिन्ताओं पर कृष्णा ने कहा कि चीन से सटे क्षेत्रों में भारत अब प्राथमिकता के आधार पर बुनियादी ढांचा निर्माण कर रहा है. कृष्णा के जवाब के बाद सदन ने विपक्ष की ओर से पेश कटौती प्रस्तावों को नामंजूर करते हुए 2011-12 के लिए विदेश मंत्रालय की अनुदान मांगों को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी.
अमेरिका और फ्रांस सहित कुछ देशों में सिख समुदाय के लोगों की पगडी उतारकर जांच करने के मामलों पर अकाली दल के सदस्यों सहित सिख सांसदों की आपत्तियों पर विदेश मंत्री ने कहा कि पगडी का हम पूरा सम्मान करते हैं. हमने सभी देशों से कहा है कि वे इन भारतीय लोगों की धार्मिक और सांस्कृतिक संवेदनाओं का ध्यान रखें और उन देशों की सरकारों की ओर से ऐसा करने का आश्वासन मिला है. {mospagebreak}
नेपाल के संदर्भ में कृष्णा ने कहा कि हम इस बात को नहीं थोपते कि वहां किस पार्टी की सरकार हो. माओवादियों सहित जिसकी भी सरकार होगी, हम उसके साथ काम करने को तैयार हैं. अफगानिस्तान में भारतीयों पर बार बार होने वाले हमलों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि भारत वहां शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढांचा निर्माण के कार्यों में लगा है. हमलों के बावजूद हम वहां (अफगानिस्तान) से नहीं हटेंगे. हम वहां तब तक रहेंगे, जब तक अफगानिस्तान सरकार ऐसा चाहेगी.’
विश्व में भारत के अलग थलग पड़ जाने के कुछ सदस्यों की राय से पूरी तरह असहमति जताते हुए कृष्णा ने कहा कि अगर ऐसा होता तो भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में पिछले अक्तूबर में रिकार्ड वोटों से नहीं चुना जाता. यह पूरे विश्व के लिए संदेश है कि भारत अब वैश्विक मसलों के केन्द्र में आ गया है. उन्होंने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन भी बढ़ता जा रहा है और स्वयं सुरक्षा परिषद के अधिकांश सदस्य इसमें भारत के साथ हैं.