कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी. एस येदियुरप्पा ने कहा है कि उनकी सरकार को पूर्ण बहुमत प्राप्त है और उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर शक्ति परीक्षण कराने की जरूरत नहीं है.
उच्चतम न्यायालय ने भाजपा के 11 बागी और पांच निर्दलीय विधायकों को अयोग्य करार देते विधानसभा अध्यक्ष के. जी. बोपैया के फैसले को निरस्त कर दिया है. हालांकि, दक्षिण भारत में बनी भाजपा की पहली सरकार की अगुवाई कर रहे येदियुरप्पा ने कहा कि अगर राज्यपाल निर्देश देते हैं तो वह सदन में बहुमत साबित करेंगे.
उन्होंने कहा, ‘‘अगर राज्यपाल कहते हैं तो उनके निर्देश का पालन करना मेरा कर्तव्य है.’’ मुख्यमंत्री से जब संवाददाताओं ने पूछा कि क्या उच्चतम न्यायालय के फैसले के मद्देनजर वह शक्ति परीक्षण कराने के पक्षधर हैं, इस पर येदियुरप्पा ने कहा, ‘‘इसका सवाल ही नहीं उठता. हमारे पास पहले से ही 121 विधायकों का समर्थन है. लिहाजा, हर कोई जानता है कि मेरे पास पूर्ण बहुमत है.’’
उन्होंने भारद्वाज के साथ टकराव टालने की जाहिरा कोशिश में कहा, ‘‘उनके (राज्यपाल के) पास संवैधानिक अधिकार है. मैं उनका काफी सम्मान करता हूं. अगर वह निर्देश देते हैं तो मैं पालन करूंगा. उनके निर्देशों का पालन करना मेरी जिम्मेदारी है.’’ भाजपा नेताओं के आरोपों के चलते भारद्वाज और कर्नाटक सरकार के बीच संबंध तल्ख हैं.
उधर, रविवार को नई दिल्ली में भारद्वाज ने कहा कि शक्ति परीक्षण कराना जरूरी है या नहीं, इस बारे में वह विशेषज्ञों से सलाह लेंगे. उन्होंने कहा कि वह कर्नाटक लौटने के बाद इस संबंध में फैसला करेंगे. येदियुरप्पा ने बेबाकी कहा कि उन्हें राज्यपाल की ओर से समस्या खड़ी होती प्रतीत नहीं हो रही और उन्हें उम्मीद है कि सरकार अपना दो वर्ष का शेष कार्यकाल पूरा करेगी.
उन्होंने कहा, ‘‘दो और वर्ष के लिये कोई समस्या नहीं है. मैं इस तरह से विकास पर ध्यान केंद्रित करूंगा कि भाजपा अगले 15 से 20 वर्ष तक सत्ता में बनी रहे.’’ उपचुनावों के बाद जीते भाजपा विधायकों सी पी योगेश्वर (चेन्नापटना), एस वी रामचंद्र (जगालुर) और एम नारायणस्वामी (बंगारपेट) को विधानसभा अध्यक्ष द्वारा शपथ दिलाये जाने के बाद येदियुरप्पा संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.
नवनिर्वाचित विधायकों को रविवार को ही शपथ दिलाने की तत्तपरता के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके लिये सभी 365 दिन खास हैं.
कर्नाटक की 224 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा के पास 11 बागी सदस्यों को भी शामिल करने के बाद 119 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 71 और जद (एस) के पास 26 विधायक हैं. इसके अलावा एक अध्यक्ष और छह निर्दलीय सदस्य हैं, जबकि एक सीट रिक्त है.