फिल्म निर्माता-निर्देशक प्रकाश झा को राहत प्रदान करते हुए बंबई उच्च न्यायालय ने उनकी फिल्म ‘आरक्षण’ के प्रदर्शन पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि शुक्रवार को फिल्म के रिलीज होने से पहले किसी के लिए इसका विशेष प्रदर्शन नहीं किया जाएगा.
न्यायमूर्ति डी डी सिन्हा और न्यायमूर्ति ए आर जोशी की खंडपीठ ने दो अधिवक्ताओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया. वकीलों ने फिल्म को प्रदर्शन से पहले दिखाने की मांग करते हुए दावा किया था कि फिल्म आरक्षण विरोधी है और इससे शांति एवं सौहार्द्र पर असर पड़ सकता है.
न्यायमूर्ति सिन्हा ने कहा, ‘हमारा विचार है कि फिल्म की रिलीज से पहले इसकी विशेष स्क्रीनिंग का याचिकाकर्ताओं का अनुरोध पूरी तरह गलत है. इसलिए हम इसे खारिज कर रहे हैं.’ उन्होंने मामले की अगली सुनवाई के लिए 22 अगस्त की तारीख मुकर्रर की.
अदालत ने याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील संघराज रुपवाते की मांग के मुताबिक 12 अगस्त को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने से भी मना कर दिया. अदालत ने कहा, ‘फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगाने का कोई अधिकार नहीं है. ऐसा करने का कोई आधार नहीं है.’
अतिरिक्त सरकारी वकील विजय पाटिल ने इससे पहले अदालत को बताया था कि फिल्म की रिलीज के बाद किसी भी तरह की कानून व्यवस्था की स्थिति को संभालने के लिए राज्य सरकार पूरी तरह तैयार है.
महाराष्ट्र में राकांपा नेता छगन भुजबल और आरपीआई नेता रामदास अठावले समेत अनेक नेताओं ने फिल्म पर विरोध जताया है. राष्ट्रीय अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग ने भी फिल्म के आरक्षण विरोधी होने का आरोप लगाया है.
फिल्मकार प्रकाश झा ने अपने हलफनामे में फिल्म के आरक्षण विरोधी या दलित विरोधी होने के आरोपों का खंडन किया है. सेंसर बोर्ड के वकील राजीव चह्वाण ने अदालत में कहा कि याचिकाकर्ता अपनी इस आशंका के बाबत कोई आधार पेश नहीं कर सके हैं कि फिल्म रिलीज के बाद कानून व्यवस्था की समस्या हो सकती है.
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