वरिष्ठ अधिवक्ता शांति भूषण और उनके पुत्र प्रशांत भूषण के विवादों से घिरने के मद्देनजर लोकपाल विधेयक की संयुक्त मसौदा समिति से उनके इस्तीफे की मांग को समाजिक कार्यकर्ताओं ने खारिज कर दिया, हालांकि न्यायमूर्ति संतोष हेगड़े ने कहा है कि वह इस समिति से इस्तीफा देने पर विचार कर रहे हैं.
केंद्रीय फोरेंसिक प्रयोगशाला (सीएफएसएल) की रिपोर्ट आने के बाद शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण की संयुक्त समिति से इस्तीफे की मांग तेज हो गई, जिसमें कहा गया है कि शांति भूषण से कथित तौर पर संबद्ध सीडी के साथ छेड़छाड़ नहीं की गई है.
हालांकि, इस मुद्दे पर इन पिता और पुत्र वकीलों ने चुप्पी साधे रखी, जबकि सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल और किरन बेदी ने उनके इस्तीफे की मांग को ‘दुर्भावनापूर्ण अभियान’ होने के चलते खारिज कर दिया. उन्होंने दिल्ली में संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘समाज के सदस्य एकजुट हैं और इस समूचे दुर्भावनापूर्ण अभियान को सरकार के अंदर और बाहर मौजूद भ्रष्ट तत्वों ने शुरू किया है, जिनका लक्ष्य एक मजबूत लोकपाल विधयेक का मसौदा तैयार करने की प्रक्रिया को पटरी से उतारना है.’
केजरीवाल और किरन ने कहा, ‘संयुक्त समिति से किसी के इस्तीफे का सवाल ही नहीं उठता है. कोई भी इस्तीफा नहीं देगा. हम एक एतिहासक मोड़ पर हैं जहां एक मजबूत भ्रष्टाचार निरोधक कानून बनाने जा रहे हैं. हम युद्ध क्षेत्र से भागने वाले लोगों में से नहीं हैं.’
हालांकि, कर्नाटक के लोकायुक्त हेगड़े ने ‘निन्दा अभियान’ से आहत होकर बैंगलोर में कहा कि वह इस्तीफा देने के बारे में विचार कर रहे हैं लेकिन शनिवार को दिल्ली में इस बारे में भ्रष्टाचार निरोधक आंदोलन के अपने सहकर्मियों से परामर्श करेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे. वह इस बात को लेकर नाराज हैं कि कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने उन्हें आड़े हाथ लेते हुए कहा था कि वह कर्नाटक के मुख्यमंत्री का बचाव कर रहे हैं.
न्यायमूर्ति हेगड़े ने कहा, ‘यह सरासर गलत है. यह तथ्यों के उलट है. मैं कोई नेता नहीं हूं. मैं इस तरह की लड़ाई नहीं लड़ सकता.’ उन्होंने कहा कि मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री की टिप्पणी ऐसे वक्त में ‘आहत’ करने वाली है जब उनकी पार्टी की नेता सोनिया गांधी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी को बदनाम करने के अभियान का समर्थन नहीं करती है.
उन्होंने कहा, ‘कर्नाटक के मुख्यमंत्री से उस हद तक किसी ने लड़ाई नहीं लड़ी जितनी कि मैंने लड़ी. यहां तक कि राज्य की कांग्रेस सरकार भी नहीं.’ कर्नाटक के लोकायुक्त ने कहा कि वह अन्ना हजारे सहित इस आंदोलन के अपने सहकर्मियों के साथ चर्चा करेंगे और संयुक्त समिति में बने रहने या इससे हटने के बारे में कोई फैसला करेंगे. गौरतलब है कि दिल्ली पुलिस ने एक शिकायत पर कार्रवाई करते हुए शांति भूषण, मुलायम सिंह यादव और अमर सिंह की बातचीत वाली तथाकथित सीडी को सीएफएसएल भेजा था. यह सीडी एक न्यायाधीश को प्रभावित करने के विषय से संबंद्ध है.
प्रयोगशाला ने पाया कि सीडी से छेड़छाड़ नहीं की गई है और इसमें रिकार्ड बातचीत निर्बाध रूप से है तथा ‘स्पीच सिग्नल’ में भी कोई विषमता नहीं पाई गई. हालांकि, जंतर मंतर पर हजारे के साथ अनशन करने वाले गैर सरकारी संगठन के एक कार्यकर्ता ओंकार राजदान ने एक बयान जारी कर कहा है कि हजारे का आंदोलन शांति भूषण और प्रशांत भूषण के चलते निष्प्रभावी हो जाएगा और इस पिता पुत्र को समिति से इस्तीफा दे देना चाहिए.
किरन ने दावा किया कि उन्होंने सरकार से विपक्षी नेता को संयुक्त समिति में नामित करने को कहा था, ताकि यह और अधिक ‘समावेशी’ बन सके. लेकिन उनकी नहीं सुनी गई. केजरीवाल ने कहा, ‘हम छोटे मोटे लोग हैं. हमारे पास आत्मसम्मान और ईमानदारी के सिवा और कुछ नहीं है. हमे एक कार्य करना है और यह कार्य एक मजबूत लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करना है.’
उन्होंने कहा, ‘मौजूदा माहौल से संयुक्त समिति की कार्यवाही पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा, समिति की बैठक जारी रहेगी और विधेयक का मसौदा तैयार करने का कार्य जारी रहेगा.’ केजरीवाल ने शांति भूषण एवं प्रशांत भूषण से अपील की कि वे समिति से नहीं हटें क्योंकि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने में उनकी विशेज्ञता की जरूरत है.
उन्होंने इन दोनों का बचाव करते हुए कहा, ‘यह मुश्किल घड़ी है. कुछ ताकतें हमे निशाना बना रही हैं. इन आरोपों का कोई आधार नहीं है.’ केजरीवाल ने कहा, ‘यदि शांति भूषण इस्तीफा दे देंगे, प्रशांत भूषण इस्तीफा दे देंगे, हजारे इस्तीफा दे देंगे तो इसका फायदा किसको मिलेगा? हमारे पास एक ऐतिहासिक मौका है. हमें नहीं गंवाना चाहिए.’