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उत्तराखंड में वर्षा जारी रहने से हाल बेहाल

उत्तरराखंड के गढ़वाल और कुमायूं मंडलों बुधवार को भी रुक रुक कर हो रही वर्षा से लोगों का हाल बेहाल रहा. अधिकांश सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. चार धाम यात्रा अभी भी बंद पड़ी है, जिससे हजारों यात्री फंसे हुये हैं.

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उत्तरराखंड के गढ़वाल और कुमायूं मंडलों बुधवार को भी रुक रुक कर हो रही वर्षा से लोगों का हाल बेहाल रहा. अधिकांश सड़कें क्षतिग्रस्त हो चुकी हैं. चार धाम यात्रा अभी भी बंद पड़ी है, जिससे हजारों यात्री फंसे हुये हैं.

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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि राज्य के गढ़वाल और कुमायूं इलाकों में बुधवार को भी वर्षा हुई, जिससे लोगों को कोई राहत नहीं मिली. राज्य में मानसून के दौरान अब तक 200 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है. राज्य सरकार ने राहत और बचाव के लिये पांच हजार करोड़ रुपये की केन्द्र से मांग की है.

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने राज्य के कुमायूं और गढ़वाल क्षेत्रों का दौरान करने के बाद कहा कि राज्य में 90 प्रतिशत सड़कें खराब हो गयी हैं. करीब 200 लोगों की जान गयी है. उन्होंने राज्य को तुरंत आपदाग्रस्त घोषित करने की मांग की. उन्होंने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये और घायलों को पचास-पचास हजार रुपये देने की घोषणा की है. {mospagebreak}

दूसरी ओर, संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन की अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा मंगलवार को राज्य के आपदाग्रस्त क्षेत्रों का हवाई दौरा करने से राज्य में केन्द्र द्वारा राहत दिये जाने की उम्मीद बढी है. आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि केन्द्र से एनडीआरएफ के 100 जवानों को बाढ़ से प्रभावित लोगों को राहत और बचाव के लिये रवाना कर दिया गया है. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये और घायलों को पचास-पचास हजार रुपये दिये जाने की घोषणा की है.

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आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि पिछले 72 घंटों के दौरान नैनीताल, अल्मोडा और हरिद्वार जिलों में मकान ढहने, भूस्खलन होने और बाढ़ आने 70 व्यक्तियों की मौत हो गयी और कई अन्य घायल हो गये. सूत्रों ने बताया कि उत्तराखंड के विभिन्न हिस्सों में मानसून की शुरूआत से ही हो रही वर्षा के चलते कई स्थानों पर भूस्खलन होने से गत शनिवार से ही गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ मार्ग को बंद करना पड़ा है, जिससे हजारों यात्री आज भी फंसे हुये हैं.

मानसून ने इस बार पिछले 44 वर्षों का रिकार्ड तोड़ दिया है और अभी भी वर्षा का कहर जारी है. बुधवार को भी कई इलाकों में अच्छी खासी वर्षा दर्ज की गयी है. टिहरी जिले में स्थित टिहरी झील का स्तर मंगलवार को 831.05 मीटर के स्तर पर पहुंच गया था. टिहरी जल विकास निगम (टीएचडीसी) के प्रबंध निदेशक आरएसटी सई ने बताया कि बांध पूरी तरह से सुरक्षित है और झील से 1250 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है. {mospagebreak}

कोटेश्वर स्थित निर्माणाधीन जल विद्युत परियोजना का काम फिलहाल रोक दिया गया है. टिहरी की जिलाधिकारी राधिका झा ने बताया कि टिहरी बांध को लेकर परियोजना से जुडे अधिकारियों के साथ बैठक की गयी है और पूरे इलाके में 24 घंटे कडी निगरानी रखी जा रही है. राज्य के अन्य जिलों के प्रशासन को बता दिया गया है कि सड़क कटने और मलबा आने से चार धाम यात्रा स्थगित कर दी गयी है.

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यात्रा स्थगित होने के चलते फंसे यात्रियों के रहने और भोजन के लिये समुचित व्यवस्था की गयी है. यात्रियों के लिये स्वास्थ्य शिविर को भी चालू करने की कोशिश की जा रही है. सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार में गंगा के जल स्तर में कमी आ रही है. लक्सर, रयासी और गंगदासपुर क्षेत्रों में भी सुधार हुआ है. विशुनपुरकुंडी गांव के पास बने बांध में दरार पड गयी है. इसे मरम्मत करने के लिये कर्मचारियों को तैनात कर दिया गया है.

हरिद्वार के जिलाधिकारी आर मीनाक्षीसुंदरम ने बताया कि गंगदासपुर इलाके से करीब 800 लोगों को सेना की मदद से अब तक निकाला जा चुका है. हरिद्वार के बाढग्रस्त इलाकों में आपदा प्रबंधन कर्मचारियों को मोटर नौका के साथ राहत और बचाव कार्य के लिये लगाया गया है. देहरादून से जाने वाली ट्रेनों को अब रवाना किया जा रहा है. रेलवे सूत्रों ने बताया कि हरिद्वार के पास रेल पटरी पर रास्ता खुल जाने से ट्रेनों की आवाजाही शुरू किया गया है. प्रभावित इलाकों में हेलीकाप्टर के माध्यम से भी लोगों को राहत सामग्री भेजी जा रही है.

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