स्वामी अग्निवेश एक नई मुसीबत में फंस गए हैं. दिल्ली सरकार ने उनके एनजीओ को दिए गए फंड को लेकर एक कारण बताओ नोटिस जारी किया है. मामला है तकरीबन पांच साल पहले सरकार के जरिए उन्हें एक सर्वे के लिए दिए गए 18 लाख रुपए के हिसाब किताब में हेरा-फेरी का.
कभी टीम अन्ना पर पैसों की गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले स्वामी अग्निवेश खुद ऐसे ही आरोपों के घेरे में हैं. मसला जुड़ा है उनके एनजीओ बंधुआ मुक्ति मोर्चा से. सरकार ने स्वामी जी को तकरीबन पांच साल पहले राजधानी दिल्ली में बंधुआ मज़दुरी पर एक सर्वे कराने के लिए 18 लाख रुपए दिए. मगर पूरे पैसों का हिसाब उनकी ओर से अब तक नहीं आया है.
दिल्ली सरकार का दावा है कि उसके दिए 18 लाख रुपयों में से तकरीबन सवा दो लाख रुपए का तो स्वामी जी और उनके एनजीओ ने हिसाब तक नहीं दिया. बाकी बचे पैसों के लिए जो बिल लगाए गए, उनमें से कई बिल दिल्ली से कई सौ किलोमीटर दूर के राज्यों के हैं. सरकार ने तो ये तक पूछा है कि जिस सर्वे को करवाने के लिए पैसे सरकारी लगे उसपर कॉपी राइट स्वामी जी का कैसे हुआ.
जब आजतक ने रिपोर्ट पर स्वामी अग्निवेश से बात करने की कोशिश की तो उन्होंने टेलीफोनन पर बताया कि अभी उन्हें ऐसा कोई नोटिस नहीं मिला है. जबकि सरकार उनके चरित्र पर सवाल उठाने की कोशिश पहले भी कर चुकी है. सरकार के सवालों का जवाब और पैसों का हिसाब-किताब तो स्वामी अग्निवेश को देना होगा. मगर सवाल सरकार से भी है कि उसे अपने पैसों की याद भला पांच साल बाद अचानक क्यों आई.