दिल्ली उच्च न्यायालय ने शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) के तहत गरीब बच्चों को दाखिला नहीं देने वाले निजी स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने का आरोप लगाने वाली याचिका पर दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है.
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए.के सीकरी और न्यायमूर्ति राजीव सहाय एंडलौ की एक पीठ ने ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ नाम की गैर सरकारी संस्था की इस याचिका पर दिल्ली सरकार और उसके शिक्षा निदेशालय को 21 दिसंबर तक जवाब देने को कहा है.
न्यायालय की इस पीठ ने सरकार से आरटीई के प्रावधानों के पालन की निगरानी सुनिश्चित करने के लिए किए जा रहे उपायों पर भी रिपोर्ट मांगी है. इस कानून के तहत स्कूलों में गरीब तबके के बच्चों के लिए 25 फीसदी सीटें आरक्षित की गई हैं.
संस्था की ओर से पेश हुए वकीलों अशोक अग्रवाल और खगेश झा ने न्यायालय को बताया कि कई स्कूलों ने जानबूझ कर शुरुआती कक्षाओं में सीटों की संख्या घटा दी है. उन्होंने यह भी कहा कि सरकार इस कानून के सातवें अनुच्छेद के तहत जिला स्तर पर निगरानी समितियां गठित नहीं कर पाई है.