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भगोड़ा मामला: सीबीआई इंस्पेक्टर निलंबित, 2 का तबादला

सरकार के सामने शर्मिंदगी का एक और मौका तब पेश आया जब पाकिस्तान को सौंपी गई सर्वाधिक वांछितों की सूची में शामिल एक और ‘भगोड़ा’ मुंबई की जेल से पकड़ा गया.

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सरकार के सामने शर्मिंदगी का एक और मौका तब पेश आया जब पाकिस्तान को सौंपी गई सर्वाधिक वांछितों की सूची में शामिल एक और ‘भगोड़ा’ मुंबई की जेल से पकड़ा गया.

इस ‘भगोड़े’ के मुंबई की जेल में मिलने के बाद सीबीआई के एक इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है और एजेंसी के दो वरिष्ठ अधिकारियों का स्थानांतरण कर दिया गया है.

सीबीआई प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने बताया कि एजेंसी के निदेशक ए पी सिंह ने इंटरपोल शाखा की संपूर्ण समीक्षा के आदेश दे दिए हैं और प्रदेश पुलिस और दूसरी एजेंसियों के साथ मिलकर सर्वाधिक वांछितों की सूची की बारीकी से जांच की जाएगी.

एजेंसी ने शुरूआती जांच के बाद घोषणा की है कि इस ‘चूक’ के चलते एक इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया और एक पुलिस अधीक्षक तथा एक उप पुलिस अधीक्षक का स्थानांतरण कर दिया गया.

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भारत की ‘50 सर्वाधिक वांछितों’ की सूची में शामिल फिरोज अब्दुल खान उर्फ हम्जा को 1993 के मुंबई विस्फोट मामले में पिछले साल नवी मुंबई के एक गांव से गिरफ्तार कर आगे की जांच के लिए सीबीआई को सौंपा गया था.

सीबीआई ने खान के खिलाफ 1994 में इंटरपोल का रेड कॉर्नर नोटिस जारी किया, लेकिन खान को हिरासत में ले लिये जाने के बावजूद एजेंसी ने इस नोटिस को वापस नहीं लिया.

गृह मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने बताया, ‘सीबीआई ने गृह मंत्रालय को बता दिया है कि यह कमी एजेंसी की थी. जब सीबीआई ने यह सूची गृह मंत्रालय को भेजी, तब एजेंसी उस व्यक्ति का नाम सूची में से हटाना भूल गई.’

खान पर आरोप है कि उसने विस्फोट के लिए हथियारों के वितरण और उनके परिवहन में मदद की. मुंबई पुलिस का आरोप है कि दाउद इब्राहिम के आदेश पर खान ने विस्फोट में कथित तौर पर इस्तेमाल हथियार लाने की व्यवस्था की.

सूची में यूनाइटेड नेशनल लिबरेशन फ्रंट के नेता राज कुमार मेघेन का नाम भी शामिल है. वह वर्तमान में राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में है. उसका नाम आतंकवाद पर नजर रखने वाली इंटरपोल की सूची में है.

धारिणी ने बताया, ‘हम मामले की जांच कर रहे हैं और गलती करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी.’ इसके पहले भारत के सर्वाधिक वांछितों की सूची में शामिल वजाहुर कमर खान भी मुंबई से मिला था.

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सीबीआई को उस समय भी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा था, जब एजेंसी का एक दल 1995 के पुरूलिया हथियार मामले के मुख्य आरोपी किम डेवी के प्रत्यर्पण के लिए कोपेनहेगन गया, उस समय पता चला कि डेवी के गिरफ्तारी वारंट की समय सीमा समाप्त हो चुकी है.

इसे एक ‘चूक’ के रूप में स्वीकार करते हुए एजेंसी सूत्रों ने कहा कि एक बार दल के कोपेनहेगन से वापस आने के बाद इस बात का अध्ययन किया जाएगा कि यह चूक आखिर कैसे हुई.
सीबीआई का एक दल डेवी के प्रत्यर्पण की प्रक्रिया में स्थानीय अधिकारियों की मदद के लिए 16 मई को डेनमार्क पहुंचा था.

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