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जापान और भारत के बीच एटमी डील होने की उम्‍मीद

अप्रसार मोर्चे पर भारत के ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ की प्रशंसा करते हुए जापान ने असैन्य परमाणु समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की इच्छा जाहिर की लेकिन यह साफ कर दिया कि अगर भारत परमाणु परीक्षण करता है तो इस तरह का सहयोग रद्द हो जायेगा.

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अप्रसार मोर्चे पर भारत के ‘ट्रैक रिकॉर्ड’ की प्रशंसा करते हुए जापान ने असैन्य परमाणु समझौते को जल्द से जल्द अंतिम रूप देने की इच्छा जाहिर की लेकिन यह साफ कर दिया कि अगर भारत परमाणु परीक्षण करता है तो इस तरह का सहयोग रद्द हो जायेगा.

जापान के साथ परमाणु सहयोग को लेकर एक दौर की बातचीत पूरी होने के बाद विदेश मंत्री एस एम कृष्णा और उनके जापानी समक्ष कात्सुया ओकादा ने इस मुद्दे पर चर्चा की. दोनों ने इस बात पर सहमति जतायी कि चर्चा को आगे बढ़ाये जाने की जरूरत है लेकिन उन्होंने इसके लिये कोई समय सीमा नहीं बतायी.

दोनों पक्षों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अक्‍टूबर में टोक्‍यो यात्रा होने से पहले आर्थिक भागीदारी समझौते को अंतिम रूप देकर कारोबारी संबंध आगे बढ़ाने का भी फैसला किय. जापानी पक्ष ने कहा कि वर्ष 2008-09 में द्विपक्षीय कारोबार 12 अरब डॉलर था. इसमें 10 गुना तक बढ़ोत्तरी करने की गुंजाइश है.

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सामरिक वार्ता के चौथे दौर में दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र में जी-4 समूह के तहत सुधार लाने की कोशिशों को भी आगे बढ़ाने पर सहमति जतायी. इस संबंध में फैसला किया गया कि 53 राष्ट्रों के अफ्रीकी महाद्वीप से संपर्क किया जायेगा, जिसके देशों का समर्थन महत्वपूर्ण है.

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से भी दिन में मुलाकात कर चुके ओकादा ने कहा कि उन्होंने असैन्य परमाणु सहयोग की जरूरत पर, आर्थिक संबंध मजबूत करने पर और संयुक्त राष्ट्र में सुधार की कोशिशें बढ़ाने पर जोर दिया है. {mospagebreak}

सामरिक वार्ता के तहत हुई बैठक के बाद कृष्णा ने ओकादा के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हम इस बात पर सहमत हो गये हैं कि बातचीत तेज रफ्तार से जारी रहेगी और हम एक अच्छा समझौता करने की दिशा में मिलकर काम करेंगे, जिसके नतीजतन भारत और जापान, दोनों के लिये फायदे की स्थिति निर्मित होगी.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों का इस तरह के समझौते को अंतिम रूप देने के लिये कोई समय सीमा निर्धारित करने का इरादा नहीं है.

ओकादा ने कहा कि परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग के लिये बातचीत शुरू करने का फैसला बतौर विदेश मंत्री 10 महीने के उनके कार्यकाल में उनके द्वारा किया गया संभवत: सबसे कठिन फैसला है.

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बैठक में उन्होंने कहा कि वह परमाणु अप्रसार के क्षेत्र में भारत की ओर से की गयीं कोशिशों की प्रशंसा करते हैं. बहरहाल, उन्होंने कहा कि जापान ऐसा एकमात्र देश है कि जिसने परमाणु हमले को झेला है और समझौते में ‘अप्रसार के फलसफे’ को दर्शाया जाना चाहिये.

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