आरुषि-हेमराज हत्याकांड में 30 अप्रैल से डासना जेल में बंद नूपुर तलवार को अदालत के आदेश के बाद मंगलवार को जमानत पर रिहा कर दिया गया. आरुषि के माता-पिता डा. नूपुर तलवार और डा. राजेश तलवार पर इस दोहरे हत्याकांड में हत्या और सबूत मिटाने के आरोप में मुकदमा चल रहा है.
डासना कारागार के जेल अधीक्षक डा. वीरेश राज ने बताया कि शाम को छह बजकर 55 मिनट पर नूपुर तलवार को रिहा कर दिया गया. उसके पति राजेश तलवार, उनके भाई डा. दिनेश तलवार और नूपुर के माता पिता उसे लेने के लिए डासना जेल आये थे.
नूपुर के जेल से बाहर आते ही राजेश ने उनके कंधे पर हाथ रखा. उस समय जेल के बाहर पत्रकारों और छायाकारों का हुजूम था. राजेश को 11 जुलाई 2008 को जमानत दे दी गई थी. हलके रंग का लिबास पहने नूपुर थकी हुई दिखाई दे रही थी.
अदालत के तमाम निर्देशों का पालन करेंगी नूपुर
उन्होंने जेल से बाहर आने के बाद कहा कि वह जमानत के दौरान अदालत के तमाम निर्देशों का पालन करेंगी. सीबीआई के विशेष न्यायाधीश एके लाल ने उच्चतम न्यायालय के आदेश के अनुसार नूपुर तलवार को रिहा करने का आदेश दिया. उच्चतम न्यायालय ने उन्हें 17 सितंबर को जमानत दे दी थी और कहा था कि उन्हें 25 सितंबर तक रिहा कर दिया जाये.
उच्चतम न्यायालय ने इस मुकदमे के दो महत्वपूर्ण गवाहों की गवाही पूरी होने के बाद नूपुर तलवार को 25 सिंतबर को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया था. विशेष अदालत ने दो लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानतों पर नूपुर की रिहाई का आदेश दिया. इस दोहरे हत्याकांड में अदालत में उपस्थित नहीं होने के कारण नूपुर तलवार के नाम पर गैर जमानती वारंट जारी हुआ था.
सुप्रीम कोर्ट से 17 सितंबर को मिली थी जमानत
उच्चतम न्यायालय ने नूपुर के खिलाफ गैर जमानती वारंट पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था. इसके बाद नूपुर ने 30 अप्रैल को गाजियाबाद की अदालत में आत्मसमर्पण किया था. उसके बाद से वह जेल में थी. उच्चतम न्यायालय ने 17 सितंबर को उन्हें जमानत दे दी थी. उन्होंने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 31 मई को उनकी जमानत याचिका रद्द करने के आदेश को उच्चतम न्यायालय में चुनौती दी थी.
इससे पूर्व निचली अदालत ने दो मई को उनकी जमानत याचिका को नामंजूर कर दी थी. इससे पहले इस साल दो मई को विशेष अदालत ने नूपुर तलवार को जमानत देने से इनकार कर दिया था. इसके बाद इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने भी 31 मई को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
हालांकि, इस दोहरे हत्याकांड की जांच बंद करने के लिए सीबीआई ने विशेष अदालत में रिपोर्ट दी थी. लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकार करते हुए कहा था कि पहली नजर में तलवार दंपति के खिलाफ साक्ष्य है. गौरतलब है कि चौदह वर्षीय आरूषि का शव नोएडा स्थित जलवायु विहार स्थित उसके घर में 16-17 मई 2008 को मिला था. इसके अगले दिन नौकर हेमराज का शव घर की छत पर मिला था.