आरुषि तलवार और हेमराज हत्याकांड में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत ने सोमवार को आरुषि की मां व दंत चिकित्सक नूपुर तलवार को जेल भेज दिया. उनकी जमानत याचिका पर सुनवाई मंगलवार को होगी. नूपुर को डासना जेल में रखा जाएगा, जहां वह बैरक संख्या 13 में 59 अन्य महिलाओं के साथ रात बिताएंगी.
नोएडा में वर्ष 2008 के बहुचर्चित आरुषि तलवार और हेमराज हत्याकांड में नूपुर अपने पति राजेश तलवार के साथ सह-आरोपी हैं. अंतरिम जमानत की उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सीबीआई की विशेष अदालत के न्यायाधीश ने नूपुर को एक दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
न्यायाधीश एस. लाल के समक्ष पेश होने से पहले वह दो अदालतों में भी अंतरिम जमानत की अपील लेकर उपस्थित हुईं. सबसे पहले उन्होंने सीबीआई की दंडाधिकारी प्रीती सिंह की अदालत में आत्मसमर्पण किया, जिन्होंने जमानत याचिका खारिज कर दी.
यह मामला फिर सत्र न्यायालय और उसके बाद सीबीआई अदालत के न्यायाधीश लाल की अदालत के पास भेज दिया. न्यायाधीश लाल की अदालत में नूपुर के वकील ने दो उदाहरणों का उल्लेख करते हुए अपनी मुवक्किल को जमानत देने का अनुरोध किया.
पहला, वर्ष 2007 के इलाहाबाद उच्च न्यायालय का फैसला, जिसमें न्यायालय ने कहा था कि यदि सवाल व्यक्तिगत स्वतंत्रता का हो तो नियमित या अंतरिम जमानत दी जानी चाहिए.
दूसरा उदाहरण उन्होंने सीबीआई की ओर से कुछ समय पहले प्रीती सिंह की अदालत में सीबीआई द्वारा क्लोजर रिपोर्ट दाखिल करने का दिया. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि नूपुर और उनके दंत चिकित्सक पति राजेश तलवार के खिलाफ कई फॉरेंसिक जांच से स्पष्ट होता है कि वे इस मामले में दोषी नहीं हैं. राजेश फिलहाल जमानत पर हैं.
इसका जिक्र करते हुए नूपुर के वकील ने कहा, 'नूपुर या राजेश के खिलाफ सीबीआई कोई सुराग नहीं दे पाई.
जब सीबीआई ने क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की थी तो उसने राजेश को नियमित जमानत देने का अनुरोध किया था. सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश पर प्रीती सिंह ने उन्हें जमानत दी थी.'
वकील के अनुसार, 'राजेश की ही तरह यह तथ्य नूपुर पर भी लागू होता है कि नोएडा और दिल्ली में उनके दो घर तथा दो क्लीनिक हैं, इसलिए उनके भागने की कोई आशंका नहीं और उन्हें जमानत दी जानी चाहिए. उन्होंने अपना पासपोर्ट भी अदालत में दे रखा है.'
वहीं, सीबीआई के वकील आर. के. सैनी ने यह कहते हुए नूपुर को अंतरिम जमानत देने का विरोध किया कि ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. सीबीआई ने महिला होने के आधार पर नूपुर को जमानत देने की बचाव पक्ष के वकील की दलील का भी विरोध किया.
सीबीआई ने कहा कि यह जमानत का आधार नहीं है, सीबीआई के वकील सैनी ने कहा कि नूपुर अदालत में पेश होने के आदेश की लगातार अवहेलना करती रहीं.
सीबीआई दंडाधिकारी के सामने नूपुर के आत्मसमर्पण के तुरंत बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया.
इसके बाद उन्होंने तुरंत जमानत के लिए अर्जी दी, जिसका सीबीआई ने विरोध किया. सीबीआई दंडाधिकारी प्रीती सिंह ने नूपुर के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. ऐसा निर्देश के बावजूद उनके अदालत में उपस्थित नहीं होने के कारण किया गया. अपने खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी होने के बाद नूपुर ने आत्मसमर्पण कर दिया.