अपनी यात्रा की पूर्व संध्या पर अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने बुधवार को भारत को एशिया में अमेरिकी सहभागिता का ‘आधार’ करार दिया लेकिन कुछ बेहद महत्वपूर्ण और लंबे समय से अटके पड़े मुद्दों पर कोई आश्वासन नहीं दिया जिनमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन और दोहरे इस्तेमाल की प्रौद्योगिकी के निर्यात पर नियंत्रण को समाप्त करने जैसे मुद्दे शामिल हैं.
शनिवार से शुरू हो रही अपनी तीन दिवसीय पहली भारत यात्रा की रूपरेखा तैयार करते हुए ओबामा ने कहा कि पिछले वर्ष जनवरी में कार्यभार संभालने के बाद से ही भारत के साथ ‘वास्तविक रणनीतिक भागीदारी’ का निर्माण करना उनकी ‘विदेश नीति की शीर्ष प्राथमिकताओं’ में से एक रहा है.
ओबामा ने बताया कि यह यात्रा उन्हें कई और व्यापक मुद्दों पर भारत-अमेरिका सहयोग को ‘एक नए स्तर’ पर ले जाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के साथ काम करने का मौका देगी. राष्ट्रपति ने कहा कि भारत-अमेरिका साझेदारी ‘हमारे दोनों के साझा मूल्यों और साझा हितों पर आधारित है और इन्हीं कारणों से मैं वैश्विक ताकत के रूप में भारत की प्रगति का समर्थन और स्वागत करता हूं.’ {mospagebreak}
उन्होंने कहा कि भारत की प्रगति दोनों देशों (भारत और अमेरिका), क्षेत्र तथा विश्व के श्रेष्ठ हित में है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने दोहरे इस्तेमाल की प्रौद्योगिकी के निर्यात पर अमेरिकी प्रतिबंध को हटाने, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता तथा मुंबई हमलों के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने में पाकिस्तान के विफल रहने समेत कई व्यापक और विवादास्पद सवालों का जवाब दिया.
अपनी भारत यात्रा के दौरान दोहरे इस्तेमाल की तकनीक संबंधी उपकरणों के निर्यात पर प्रतिबंध को हटाने की घोषणा की संभावना और सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता को और अधिक ठोस समर्थन दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर ओबामा ने दोनों मसलों को ‘बेहद मुश्किल तथा पेचीदा’ करार दिया.
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘हमारी टीमें अंतरराष्ट्रीय अप्रसार व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने के मकसद से किसी समझौते पर पहुंचने के लिए काफी कड़ी मेहनत कर रही हैं और इस दौरान भारत के साथ उसी प्रकार का बर्ताव किया जा रहा है जो हमारी रणनीतिक साझेदारी से मेल खाता है.’ {mospagebreak}
उन्होंने शांतिपूर्ण और सैन्य इस्तेमाल दोनों श्रेणियों में आने वाली सामग्री पर लगे निर्यात प्रतिबंध के संबंध में यह बात कही. सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्यता के दावे के संबंध में किसी ठोस समर्थन के प्रति कोई प्रतिबद्धता व्यक्त नहीं करते हुए ओबामा ने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि अपनी यात्रा के दौरान विश्व मंच पर एक अभिनेता के रूप में भारत की भूमिका पर भी चर्चा होगी.’
यह सवाल किए जाने पर कि उनकी यात्रा के एजेंडा में कोई ‘बड़ी घोषणा’ दिखाई नहीं देती, ओबामा ने कहा, ‘भारत में रहते हुए, मैं और प्रधानमंत्री सिंह जो घोषणाएं करेंगे, मैं उनका पहले से खुलासा नहीं करना चाहता.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि आप कई ऐसी घोषणाओं की उम्मीद कर सकते हैं कि हम व्यापक मसलों पर अपने सहयोग को कैसे गहरा और व्यापक करने जा रहे हैं जिनका भारत और अमेरिका, दोनों में लाखों लोगों पर सीधा और बेहद सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘एजेंडे में कई बड़ी चीजें हैं और जैसा कि महत्वपूर्ण है मेरा मानना है कि हम अमेरिका-भारत साझेदारी की और अधिक मजबूत नींव का निर्माण करेंगे.’ {mospagebreak}
ओबामा ने ठोस शब्दों में कहा कि भारत-अमेरिका संबंध ‘अब किसी एक विशेष मुद्दे से काफी आगे जा चुके हैं.’ उन्होंने कहा, ‘यदि आप उन सभी चीजों को देखें जिन पर हम काम कर रहे हैं, आर्थिक साझेदारी से लेकर आतंकवाद का मुकाबला और सुरक्षा सहयोग, विकास के लिए स्वच्छ ऊर्जा, ये उस प्रकार के सहयोग से काफी आगे की चीज है, जैसा कुछ साल पहले तक होता था.’
ओबामा ने कहा कि ये सब भारत अमेरिका संबंधों से निकल रही बेहद सकारात्मक उर्जा का संकेतक है. दोनों देशों के बीच संबंधों के अपने दृष्टिकोण की रूपरेखा पेश करते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं एक ऐसी अमेरिका-भारत साझेदारी का सपना देखता हूं जिसमें हम अधिक सुरक्षित, स्थिर और न्यायोचित विश्व को आकार देने में एक दूसरे के साथ मिलकर काम करें.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘मेरी यह यात्रा मुझे आपके अद्भुत देश का सीधे अनुभव प्राप्त करने का मौका देती है जिसमें मेरे दोस्त प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से साझा हितों से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी और हम व्यापक मुद्दों पर अपने सहयोग को नए स्तर पर ले जाने के लिए उनके साथ काम करेंगे.’ {mospagebreak}
उन्होंने कहा, ‘यह भी महत्वपूर्ण है कि एशिया के अपने प्रमुख दौरे पर मेरा पहला पड़ाव भारत है क्योंकि मैं भारत को एशिया में अमेरिकी साझेदारी के आधार के रूप में देखता हूं. जैसा कि जी 20 जैसे बहुपक्षीय फोरमों में यह हमारी साझेदारी का आधार है.’ उन्होंने कहा, ‘मेरे लिए, अमेरिका और भारत एक अटूट संबंध के साथी हैं और यह ऐसा संबंध है जो हमारे दोनों देशों और विश्व के लिए लाभदायक है.’
ओबामा से इन रिपोर्टों के बारे में सवाल किया गया था कि अमेरिकी कंपनियां भारतीय संसद द्वारा हाल ही में पारित परमाणु दायित्व अधिनियम के कुछ प्रावधानों से खुश नहीं हैं और क्या वह भारत पर इसकी समीक्षा का दबाव डालेंगे. यह अधिनियम भारत को परमाणु व्यापार में शामिल होने में सक्षम बनाता है. {mospagebreak}
अमेरिकी राष्ट्रपति ने अपने जवाब में कहा, ‘भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया के प्रति मैं गहरा सम्मान रखता हूं और मैं भारत सरकार को प्रोत्साहित करना जारी रखूंगा कि वह घरेलू तथा अंतरराष्ट्रीय आपूर्तिकर्ताओं को भारत की महत्वाकांक्षी परमाणु ऊर्जा उत्पादन जरूरतों को पूरा करने में मदद का मौका दे.’
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं समझता हूं कि भारतीय अधिकारी कानून पर हमारी चिंताओं से अवगत हैं जिसे हाल ही में भारतीय संसद ने पारित किया है. इन चिंताओं को कई अन्य ने भी साझा किया है जिनमें कुछ भारतीय अधिकारी तथा भारतीय उद्योग के प्रतिनिधि शामिल हैं.’
ओबामा ने कहा, ‘महत्वपूर्ण बात यह है कि हमारी सरकारें इन चिंताओं का समाधान करने के लिए एक दूसरे के साथ मिलकर विचार विमर्श कर रही हैं. यह हमारी साझेदारी की मजबूती का मुजाहिरा है. अपनी चिंताओं पर बात करना, हमें एक दूसरे से दूर करने के बजाय, एक दूसरे के करीब लाता है.’