scorecardresearch
 

सुरक्षा परिषद में भारत के दावे को समर्थन देने का ओबामा का ऐलान

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सोमवार को संसद में ऐलान किया कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की दावेदारी का समर्थन करेगा, वहीं पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में यह संदेश दिया कि उसके देश में मौजूद आतंकवादियों के पनाहगाह कतई स्वीकार्य नहीं हैं.

Advertisement
X

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने सोमवार को संसद में ऐलान किया कि उनका देश संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की दावेदारी का समर्थन करेगा, वहीं पाकिस्तान को दो टूक शब्दों में यह संदेश दिया कि उसके देश में मौजूद आतंकवादियों के पनाहगाह कतई स्वीकार्य नहीं हैं.

Advertisement

ओबामा ने संसद के ऐतिहासिक केंद्रीय कक्ष में दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा, ‘मैं पुनर्गठित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत के स्थायी सदस्य के तौर पर शामिल होने की आशा रखता हूं.’

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और केंद्रीय कक्ष में उपस्थित दोनों सदनों के सदस्यों की तालियों की भारी गड़गड़ाहट के बीच उन्होंने कहा, ‘अमेरिका संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने की भारत की तैयारी का स्वागत करता है.’

संसद भवन पहुंचने पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार और उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी ने ओबामा की औपचारिक अगवानी की और उन्हें केंद्रीय कक्ष तक ले गये. दिन में प्रधानमंत्री के साथ हुई वार्ता में भारत-पाकिस्तान वार्ता की वकालत करने के बाद ओबामा ने संसद के केंद्रीय कक्ष में कहा कि पाकिस्तान की सीमाओं के भीतर मौजूद आतंकवादियों के ‘पनाहगाह’ स्वीकार्य नहीं हैं. {mospagebreak}

Advertisement

उन्होंने भारत के पड़ोसी देश से मुंबई हमलों के लिये जिम्मेदार आतंकियों को न्याय के कटघरे में लाने को कहा. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने की भारत की दावेदारी पर कुछ भी बोलने से अब तक अमेरिका कतराता रहा था. वहीं, पांच सदस्यीय सुरक्षा परिषद के अन्य सदस्य रूस, फ्रांस और ब्रिटेन का इस मुद्दे पर स्पष्ट रुख था. सुरक्षा परिषद के पांचवें स्थायी सदस्य चीन ने अब तक इस बारे में अपने पत्ते नहीं खोले हैं.

ओबामा ने भारत की दावेदारी का समर्थन करते हुए सुझाव दिया कि उसे म्यामां में मानवाधिकार उल्लंघनों जैसे मुद्दों पर कोई रुख अख्तियार करना चाहिये जिसे लेकर वह अब तक ‘बचता रहा है.’ उन्होंने कहा, ‘अब मैं यह सुझाव दूंगा कि बढ़ी हुई शक्ति के साथ बढ़ी हुई जिम्मेदारी भी आती है. संयुक्त राष्ट्र का अस्तित्व शांति और सुरक्षा बनाये रखने, वैश्विक सहयोग बढ़ाने और मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के बुनियादी आदर्शों पर टिका है.’

ओबामा ने कहा, ‘ये सभी राष्ट्रों की जिम्मेदारी है लेकिन 21वीं सदी की अगुवाई करने वाले देशों की जिम्मेदारी अधिक है. लिहाजा, हम भारत और सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की ख्वाहिश रखने वाले ऐसे अन्य देशों के साथ काम करने के प्रति आशान्वित हैं जो चाहते हैं कि सुरक्षा परिषद प्रभावी हो, जिसके प्रस्तावों और प्रतिबंधों पर अमल हों. हम ऐसे अंतरराष्ट्रीय मानदंडों को मजबूत करना चाहते हैं जो सभी देशों और लोगों के अधिकारों और जिम्मेदारियों की पहचान करते हों.’

Advertisement
Advertisement