एक जमाना था, जब कलम को तलवार बनाकर बुराई के खिलाफ लड़ाई लड़ी जाती थी, लेकिन आज कुछ लोग न सिर्फ इस कलम का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं, बल्कि इसके जरिए ऐसा कुछ लिख रहे हैं जिसे पढ़कर इंसान शर्मशार हो जाए.
शिवसेना के मुखपत्र 'सामना' के संपादकीय में इस तरह की अभद्र भाषा का प्रयोग किया गया है, जिसे सभ्य समाज में बताया जाना आसान काम नहीं है. 'सामना' में जहां महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण पर फब्तियां कसी गई हैं, वहीं कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ भी आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया गया है. सोनिया गांधी पर की गई टिप्पणी भी बेहद अमर्यादित है. ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि अपनी बात को जाहिर करने का यह कौन सा तरीका है?
शाहरुख खान की फिल्म को नापसंद करने वाले जिस तरीके से अपने विरोध का इज़हार कर रहे हैं, उसे सही नहीं ठहराया जा सकता है. सिनेमाघरों में जबरदस्ती की जा रही है और अखबार के जरिए भाषा की नैतिकता को ताक पर रखा जा रहा है.