उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता देने की घोषणा के बाद अब सेवायोजन कार्यालयों पर इस कदर भीड़ उमड़ रही है कि एक तरफ जहां कर्मचारियों को इन्हें सम्भालने में पसीने छूट रहे हैं वहीं दूसरी ओर फार्मों की कालाबाजारी का धंधा भी शुरू हो गया है.
चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे के मुताबिक ही समाजवादी पार्टी (सपा) की सरकार ने बेरोजगारी भत्ता दिए जाने पर कैबिनेट की मुहर भी लगा दी है. कैबिनेट के इस फैसले के बाद अब सेवायोजन कार्यालयों पर पहले से कहीं अधिक भीड़ देखी जा रही है. पूरे प्रदेश में जिला सेवायोजन कार्यालयों पर नाम दर्ज कराने के लिए इतनी लम्बी-लम्बी कतारें लग रही हैं कि अधिकारियों को फार्म वितरण में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
राज्य में वाराणसी, आगरा, कानपुर और इलाहाबाद में काउंटरों की बजाय खुलेआम पैसे लेकर फार्मो का वितरण किया जा रहा है. राजधानी लखनऊ के क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारियों की मानें तो बेरोजगारी भत्ते का फार्म इतना बिक गया है कि पूरे साल का रिकॉर्ड केवल मार्च में ही टूट गया.
लखनऊ क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय के अधिकारी पी. के. पुंडीर ने बताया कि पूरे साल में जहां केवल 18,163 बेरोजगारों का पंजीकरण किया गया था वहीं सिर्फ मार्च महीने में ही शुक्रवार तक 33931 बेरोजगारों ने अपने पंजीकरण कराए हैं. पुंडीर ने कहा कि आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं कि बेरोजगारी भत्ते पाने के लिए किस कदर भीड़ जमा हो रही है.
लखनऊ सेवायोजन कार्यालय पर बेरोजगारी भत्ते का फार्म लेने पहुंची शिवानी पटेल ने बताया, 'बेरोजगारों को तो नौकरी चाहिए लेकिन सरकार ने बेरोजगारी भत्ता देने का फैसला किया है वह भी राहत देने वाला है. महंगाई के इस दौर में 1000 रुपये से भी कुछ राहत मिल सकती है.'
सेवायोजन कार्यालय पर पहुंचे एक युवक अनिल सागर ने तो बेरोजगारी भत्ते के फार्मो की कालाबाजारी की भी शिकायत की. सागर ने कहा कि फार्म का वितरण खुलेआम 50-50 रुपये में किया जा रहा है लेकिन कोई कारगर कदम नहीं उठा रहा है. पटेल के मुताबिक लोग घंटों कतारों में खड़े रहते हैं लेकिन दलालों के माध्यम से फार्म किसी और को पकड़ा दिया जाता है. इस पर रोक लगाई जानी चाहिए.