कांग्रेस ने सोमवार को मेघालय में चार नेताओं को मुख्यमंत्री का दर्जा दिये जाने की व्यवस्था पर एक तरह से अप्रसन्नता जताते हुए इसे ‘‘अपेक्षाकृत असामान्य’’ बताया लेकिन साथ ही राज्य में राजनीतिक अस्थिरता का हवाला देते हुए इस कदम का बचाव करने का प्रयास किया.
पार्टी प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि मेघालय में सिर्फ एक मुख्यमंत्री है और संविधान के मुताबिक सिर्फ एक मुख्यमंत्री ही हो सकता है. अन्य को सिर्फ मुख्यमंत्री का दर्जा दिया गया है और मुख्यमंत्री के रूप में निर्णय लेना उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है. कार्यपालिका के निर्णय का अधिकार सिर्फ मुख्यमंत्री को ही है. सिंघवी ने कहा ‘‘मैं सहमत हूं कि यह अपेक्षाकृत असामान्य है. लेकिन यह एक छोटा सा राज्य है और वहां राजनीतिक अस्थिरता रही है.’’
उन्होंने कांग्रेस नेतृत्व वाली मेघालय सरकार के फैसले का बचाव करते हुए इसे एक राजनीतिक निर्णय बताया और कहा कि अनेक राज्यों में उपमुख्यमंत्री होते हैं तथा निगमों और बोडो’ के अध्यक्षों को कैबिनेट मंत्री का दर्जा दिया जाता है. यह पूछे जाने पर कि क्या छोटे से राज्य में चार मुख्यमंत्रयों के कारण सरकारी खजाने पर अनावश्यक बोझ नहीं पड़ेगा और इस तरह यह सरकारी धन का दुरुपयोग नहीं है, सिंघवी ने कहा ‘‘मैं नहीं समझता कि यह कोई दुरुपयोग है. यह एक राजनीतिक फैसला है और पूरी जिम्मेदारी से लिया गया है.’’
सिंघवी ने इस सवाल का कोई उत्तर नहीं दिया कि क्या इस माडल को अन्य राज्यों में और केन्द्र में भी अपनाया जायेगा. कांग्रेस की अगुवाई वाली मेघालय सरकार में यह अनोखी व्यवस्था है. राज्य के उपमुख्यमंत्री तथा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष फ्राइडे लिंगदोह का दर्जा उप मुख्यमंत्री से बढ़ा कर गुरूवार को मुख्यमंत्री का कर दिया गया है. माना जा रहा है कि राज्य कांग्रेस में उपजे अंतर्विरोध को शांत करने के लिए यह कदम उठाया गया है.
लिंगदोह का दर्जा बढ़ा दिये जाने के बाद राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन में लापांग के अलावा तीन ऐसे नेता हैं जिनके पास मुख्यमंत्री का दर्जा है. जिन अन्य दो लोगों को मुख्यमंत्री का दर्जा है उनमें राज्य योजना बोर्ड के चेयरमैन दोंकुपर राय और मेघायल आर्थिक विकास परिषद के प्रमुख जे डी रिम्बई शामिल हैं. ये दोनों युनाइटेड डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं. लापांग के अलावा बाकी तीन लोगों को भी मुख्यमंत्री के बराबर वेतन, भत्ता और सुविधायें मिलेंगी. हलांकि, लापांग के अलावा अन्य के पास कोई संवैधानिक ताकत नहीं होगी.