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भारत भी अपने बाजार खोले: ओबामा

राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत से अमेरिकी सामान और पूंजी के लिए बाजार खोलने की मांग करते हुए कहा कि अमेरिका ने अपने साथ व्यापार करने वालों के लिए बाजार खोला है तो उन्हें भी अमेरिका को उसी तरह का मौका देना होगा.

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राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत से अमेरिकी सामान और पूंजी के लिए बाजार खोलने की मांग करते हुए कहा कि अमेरिका ने अपने साथ व्यापार करने वालों के लिए बाजार खोला है तो उन्हें भी अमेरिका को उसी तरह का मौका देना होगा.

राष्ट्रपति ने कहा, ‘हम भारतीय बाजारों में पहुंच चाहते हैं. हम भारत में अपना माल बेचना चाहते हैं. हमारे लिए यह कहना अनुचित नहीं होगा कि अगर हमने अपना बाजार खोल रखा है तो जिन देशों के साथ हम व्यापार करते हैं उनकी अर्थव्यवस्था भी हमारे लिए खुली होनी चाहिए.’ओबामा अपनी यात्रा के दूसरे दिन मुंबई के प्रसिद्ध सेंट जैवियर्स कालेज में छात्रों के साथ संवाद कर रहे थे.

उन्होंने कहा, ‘हमें व्यापारिक संबंध में एक दूसरे के साथ समान बरताव करना चाहिए तभी यह दोनों के लिए फायदेमंद होगा. राष्ट्रपति ने कहा, ‘अगर अमेरिकी लोग सोचते हैं कि यह व्यापार एकतरफा है जहां हर कोई अमेरिकी बाजार में अपने माल बेच रहा है, लेकिन हम कहीं भी अपना माल नहीं बेच सकते तो अमेरिका के लोग यह सोचने लगेंगे कि यह अमेरिका के लिए एक खराब सौदा है.’

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ओबामा ने चेताया कि इससे न केवल डैमोक्रेट, बल्कि रिपब्लिकन सांसदों में और संरक्षणवादी रवैये को प्रोत्साहन देगा. इसलिए हमें इसके खिलाफ सतर्क रहना है.’ हालांकि राष्ट्रपति ने यह आश्वासन दिया कि वह व्यापार संबंध बढ़ाने के मामले में भारत की हर पहल पर अपनी ओर से भी समुचित कदम उठाएगा.

वर्ष 2009-10 में भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार 36.6 अरब डालर रहा और ओबामा ने अगले पांच साल में भारत को अमेरिका का निर्यात बढ़कर दोगुना होने की कल उम्मीद जताई. अमेरिका के कुल निर्यात में भारत का हिस्सा केवल दो प्रतिशत है.{mospagebreak}

ओबामा ने कहा कि भारत ने हाल के आर्थिक संकट का सबसे अच्छे ढंग से सामना किया जबकि 2008 का वैश्विक आर्थिक संकट ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए सबसे समय ले कर आया. अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, ‘भारत न केवल एक बढ़ती ताकत है, बल्कि यह देश अब ताकत बन चुका है. इसकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ रही है. हम उम्मीद करते हैं कि वैश्विक मंच पर भारत बड़ी भूमिका निभाएगा.’ ओबामा ने इसी संदर्भ में दुनिया के प्रमुख विकसित और विकासशील देशों के मंच जी-20 में भारत और अमेरिका के बीच सहयोग का उल्लेख किया.

राष्ट्रपति ने बदलते वैश्विक परिदृश्य का जिक्र करते हुए कहा कि उन्‍हें अब तक अमेरिका को ऐसी ताकत के रूप में देखा था जो बाकी दुनिया का सामना करने की स्थिति में था. ‘लेकिन अब भारत, चीन, ब्राजील तथा कुछ अन्य देशों के उदय के बाद अब वास्तविक प्रतिस्पर्धा शुरू हुई है और यह प्रतिस्पर्धा स्वस्थ रहने की संभावना है. इस नए हालात ने अमेरिका को भी अपनी कमर कसने को मजबूर किया है क्योंकि हम मानते हैं कि हम अब भी मुकाबला करने की क्षमता रखते हैं.’

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संरक्षणवादी नीति अपनाने की आलोचना झेल रहे ओबामा ने कहा कि अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और बहुत बड़ा बाजार है. इसका अर्थ यह नहीं है कि अन्य देश हमारे यहां अपना माल बेचने आएं और हमें अपने यहां मौका न दें. अमेरिका में हाल के चुनाव में अपनी डेमोकेट्रिक पार्टी की हार के सवाल के बारे में पूछे जाने पर ओबामा ने कहा कि अमेरिका में बेरोजगारी बढ़ने और आर्थिक हालात में सुधार की धीमी रफ्तार के कारण लोगों में नाराजगी है. उन्होंने कहा कि व्यापार में यदि दोनों ओर से कदम न बढ़े तो ऐसे संबंध में अमेरिका को नुकसान होगा.{mospagebreak}

अमेरिकी राष्ट्रपति ने बातचीत में कहा उनकी इस यात्रा का एक बड़ा मकसद एशियाई देशों के साथ व्यापार बढाना है. ओबामा ने कहा, ‘मेरा मानना है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था की वृद्धि और समृद्धि तभी होगी जबकि हम एशियाई देशों के साथ व्यापार करेंगे. एशिया इस समय दुनिया में सबसे तीव्र वृद्धि वाला क्षेत्र है. हम आपके बाजार में प्रवेश चाहते हैं.’ उन्होंने कहा, ‘हम मानते हैं कि हमारे पास आप को बेचने के लिए अच्छे अच्छे सामान हैं और इसी तरह आप लोगों को भी लगता है कि आपके पास हमें बेचने के लिए अच्छे सामान है. यह दोनों के फायदे में है.’

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अमेरिकी अर्थव्यवस्था का ताजा चित्र और अमेरिकी लोगों की मन:स्थिति को प्रस्तुत करते हुए ओबामा ने कहा, ‘अमेरिका में बेरोजगारी बहुत बढ गयी है,इसी कारण लोग निराश है. लोकतांत्रिक व्यवस्था की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि जब लोग खुश नहीं होते हैं तो उन्हें अपनी नाराजगी को जाहिर करने का पूरा अधिकार है.’ सरकारी आंकड़ो के अनुसार इस समय अमेरिका में बेरोजगारी 9.6 प्रतिशत तक पहुंच गयी है.

ओबामा ने कहा कि उनका प्रशासन अमेरिका को तरक्की की राह पर आगे बढाने के लिए प्रतिबद्ध है. ‘हमें इसके लिए शिक्षा में निवेश करना होगा क्यों कि इसी से भविष्य की राह खुलेगी. हमें अपना बुनियादी ढांचा मजबूत करना होगा. हमें स्वच्छ उर्जा के क्षेत्र में अवसरों का लाभ उठाना होगा.’ उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात में वह इन सभी मुद्दों पर सहयोग बढाने की बात करेंगे.

उन्होंने कहा कि दोनों देशों के साथ इस तरह के सहयोग में ‘दोनों पक्षों का फायदा होगा, मैं यह साफ करना चाहता हूं कि मैं यहां इस लिए आया हूं कि इससे अमेरिका में रोजगार बढेगा और भारत में भी रोजगार के नए अवसर बनेंगे.’ अमेरिकी राष्ट्रपति ने यात्रा के पहले दिन भारत और अमेरिकी कंपनियों के बीच 10 अरब डालर के विभिन्न सौदों की घोषणा की. अनुमान है कि इससे अमेरिका में 50 हजार से अधिक रोजगार के अवसर पैदा होंगे.

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