करीब 10 महीनों तक चले ऑपरेशन दुर्योधन को कोबरापोस्ट-आजतक की खोजी पत्रकारों की टीम ने अंजाम दिया. ऑपरेशन दुर्योधन ने जाहिर कर दिया कि कैमरे का सही इस्तेमाल करके जनता अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों की करतूतों का भंडाफोड़ कर सकती है. इस टीम ने लोकसभा के 10 और राज्यसभा के एक सांसद को 'नॉर्थ इंडिया स्मॉल मैन्यूफैक्चरर्स एसोसिएशन' (निस्मा) नामक काल्पनिक संस्था के प्रतिनिधियों से संसद में सवाल उठाने के नाम पर रिश्वत लेते कैमरे में कैद किया.
इन सांसदों ने निस्मा की ओर से संसद में पूछने के लिए सवाल जमा किए-इनमें से कुछ सवाल संसद की जटिल लॉटरी प्रक्रिया से गुजरकर बाकायदा सदन में पूछे जाने के लिए चुने गए. इनमें से कुछ सवालों को उन बिचौलियों ने नए सिरे से लिखा, कुछ सवाल मौखिक तौर पर उठाए गए, कुछ सवालों को वहीं संसद के कर्मचारियों ने आंशिक तौर पर शामिल किया. कोबरापोस्ट की टीम के पास संसद में सांसदों द्वारा हस्ताक्षरित सवाल जमा करने की खाली पर्चियां भी हैं तो कुछ पर्चियों पर सवाल लिखे हुए हैं.
ऑपरेशन दुर्योधन में सात मुख्य बिचौलिए थे-हरीश बडोला, चंद्रभान गुप्ता, एम.के. त्रिपाठी (उर्फ चोटीवाला), मोहन मणि, दिनेश चंद्र, रवींद्र कुमार और विजय. कोबरापोस्ट-आजतक की खोजी पत्रकारों की टीम उन्हीं सांसदों तक पहुंच सकी, जिनसे बिचौलियों ने मिलवाया. जाहिर है, यदि कुछ और बिचौलिए मिलते, तो कैमरों में कैद होने वाले सांसदों की संख्या कुछ और होती.{mospagebreak}कोबरापोस्ट की टीम ने मई के आखिरी हफ्ते में अपने अभियान का पहला दौर पूरा करने के बाद जुलाई के आखिर में संसद सत्र शुरू होने तक चुप्पी साधे रखी. इसकी एक वजह तो यह थी कि हमारे पास अच्छी किस्म का वीडियो उपकरण नहीं था और दूसरी यह कि हम देखना चाहते थे कि आखिर कितने सांसदों ने वाकई हमारे सवाल संसद में जमा किए और वे सवाल संसद में उठाए गए.
बहरहाल, कोबरापोस्ट की टीम ने सतर्कता बरती कि नकदी स्वीकार करते हुए सांसदों को वीडियो कैमरों में कैद कर लिया जाए ताकि अपना कानूनी बचाव कर सकें. इसके अभाव में सांसद शब्दजाल का सहारा लेकर सचाई को छिपा लेते. पेश है पहले उन सात सांसदों से हमारी मुलाकात का ब्यौरा, जिन्होंने निस्मा की ओर से सवाल संसद के पटल पर रखे.
नरेंद्र कुशवाहा (बसपा)
कोबरापोस्ट की टीम ने 9 मई को बसपा सांसद नरेंद्र कुशवाहा से मुलाकात की. कुशवाहा से कहा गया कि वे लोकसभा में पांचतारा अस्पतालों के कामकाज और उनकी मनमानी फीस के बारे में सवाल पूछें. इस मुलाकात में कुशवाहा के सामने टेबल पर पीले रंग के लिफाफे में 25,000 रु. रखे गए. इस पर कुशवाहा ने कहा, ''ठीक है.'' कुशवाहा को कुल 55,000 रु. का भुगतान किया गया.{mospagebreak}अन्ना साहेब एम.के. पाटील (भाजपा)
कोबरापोस्ट की टीम ने 11 मई को पाटील से हरीश के जरिए मुलाकात की. संसद में स्टेनोग्राफर के पद पर काम करने वाले हरीश के राजनीतिकों से गहरे संबंध हैं. पाटील को निस्मा संबंधी सवाल उठाने के लिए कुल मिलाकर 45,000 रु. का भुगतान किया गया. उन्हें मानसून सत्र के पहले दिन लघु उद्योगों संबंधी एक तारांकित सवाल उठाने की इजाजत मिली थी, मगर उस दिन सदन की कार्रवाई नहीं हो सकी. पाटील ने पैसे अनूठे अंदाज में स्वीकारे. उन्होंने रिपोर्टर से कहा कि नकदी ''सीट के नीचे रख दें.''
वाइ.जी. महाजन (भाजपा)
कोबरापोस्ट की टीम 19 मई को जलगांव के भारतीय जनता पार्टी के सांसद वाइ.जी. महाजन से मुलाकात की. पहली मुलाकात संक्षिप्त रही, जिसमें सांसद ने कहा कि ''आप मटेरियल देते रहिए, मैं उठाता रहुंगा.'' महाजन ने निस्मा की ओर से जिन सवालों की पर्ची जमा की, उनमें से 8 सदन में पूछे गए. महाजन को कुल 35,000 रु. दिए गए.
मनोज कुमार (राजद)
अपने निजी सचिव चोटीवाला के जरिए 25,000 रु. लेने के बाद मनोज कुमार ने निस्मा से तीन और सांसदों से मुलाकात करवाने के लिए 75,000 रु. की मांग की. यह पैसा चोटीवाला को दे दिया गया.
सुरेश चंदेल (भाजपा)
हिमाचल प्रदेश के हमीरपुर से भाजपा सांसद सुरेश चंदेल से मुलाकात के दौरान उन्हें निस्मा की ओर से लोकसभा में गैट के बाद लघु उद्योगों की स्थिति के बारे में सवाल पूछने को कहा जाता है. वे इस काम के लिए 20,000 रु. स्वीकार करते हैं. तीसरी बैठक में उन्हें निस्मा की ओर से सवाल पूछने के लिए 10,000 रु. अग्रिम दिए गए. संसद में निस्मा के हितों पर आवाज उठाने के लिए लॉबी तैयार करने की बात पर चंदेल कहते हैं, ''समाजवादी पार्टी के एक-दो लोगों को इनवॉल्व करेंगे...और दलों के लोगों को भी इनवॉल्व करेंगे.''{mospagebreak}लालचंद्र कोल (बसपा)
4 मई बसपा के लालचंद्र से मुलाकात में सांसद को विदेशी अनुदान नियमन अधिनियम (एफसीआरए) के दुरुपयोग के संबंध में सवाल पूछने को कहा जाता है. उन्हें एक पारदर्शी लिफाफे में रखकर 25,000 रु. दिए जाते हैं. बहरहाल, लालचंद्र को दिया सवाल मानसून सत्र में नहीं चुना जाता.
9 नवंबर को उन्होंने शीत सत्र में और सवाल उठाने के लिए अग्रिम के तौर पर टीम से 10,000 रु. और झटक लिए. लालचंद्र ने जो सवाल जमा किए थे, उनमें से एक-सार्क देशों को लघु उद्योगों के निर्यात से जुड़ा-संसद के शीत सत्र में सदन में रखा गया.
छत्रपाल सिंह लोध (भाजपा)
17 मई को राज्यसभा सांसद डॉ. छत्रपाल सिंह लोध से रिपोर्टर ने निस्मा की ओर से उठाए जाने वाले सवाल सांसद को सौंपे. अन्य सांसदों के उलट लोध ने सवाल को गंभीरता से पढ़ा और रिपोर्टर को भरोसा दिलाया कि वे इस सवाल को नए सिरे से लिखकर मानसून सत्र में जमा करेंगे. इस बैठक के बाद रिपोर्टर से हरीश 25,000 रु. सांसद के लिए और 5,000 रु. अपने लिए ले लेता है. बुलंदशहर स्थित निवास पर 30 अक्तूबर को हुई. रिपोर्टर उन्हें वहां 5,000 रु. देकर बाकी दिल्ली में देने का वादा करती हैं. लोध उस पैसे को स्वीकार कर लेते हैं. 9 नवंबर को लोध ने अपने दिल्ली स्थित निवास पर 5,000 रु. और लिए तथा वादा किया कि राज्यसभा में सवाल लगवाएंगे.{mospagebreak}
राजा राम पाल (बसपा)
उत्तर प्रदेश के बिल्हौर से बसपा सांसद राजा राम पाल से 26 अप्रैल को दिलचस्प मुलाकात हुई. उन्होंने सवाल पूछने के अनुरोध पर पहले पैसे लेने से इनकार कर दिया. फिर पैसे ले लिए और कहा, ''अरे, ट्वेंटी फाइव से क्या होगा?'' 10 नवंबर को पाल की मुलाकात 'नवरतन मल्होत्रा' से एक फाइवस्टार होटल में हुई. इसमें पाल 40,000 रु. प्रतिमाह के भुगतान पर साल भर निस्मा के सवाल उठाने का वादा करते हैं.
प्रदीप गांधी (भाजपा)
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव से भाजपा सांसद से मोहन मणि के जरिए 4 मई को मुलाकात होती है. गांधी को 2004 के शेयर घोटाले की सेबी जांच के बारे में सवाल पूछने को कहा जाता है. इस काम के लिए गांधी को 25,000 रु. दिए जाते हैं. रिपोर्टर गांधी से 5 अक्तूबर को फिर मिलती हैं. लघु उद्योगों के बारे में संसद में याचिका पेश करने के लिए उन्हें 10,000 रु. का अग्रिम भुगतान किया जाता है. गांधी भरोसा दिलाते हैं कि निस्मा के लिए लॉबिइंग के वास्ते वे 100 सांसदों का समर्थन जुटा लेंगे और याचिका समिति के अध्यक्ष से भी संपर्क करेंगे.
चंद्र प्रताप सिंह (भाजपा)
11 मई को मध्य प्रदेश के सीधी से भाजपा के सांसद चंद्र प्रताप सिंह उर्फ 'बाबा साहेब' के 33 नॉर्थ एवेन्यू स्थित निवास पर पहली मुलाकात में ही रिपोर्टर उनसे निस्मा की ओर से वैट का दवा उद्योग पर असर के बारे में सवाल पूछने के लिए कहता है. वे पूरा सहयोग देने का वादा करते हैं और 25,000 रु. ले लेते हैं. {mospagebreak}चंद्र प्रताप सिंह के साथ हमारी दूसरी मुलाकात तीन महीने बाद 16 अगस्त को होती है. तब वे थोड़े शर्मिंदा होते हैं कि निस्मा की ओर से उन्होंने जो सवाल जमा किया था, वह शामिल नहीं किया गया. तीसरी मुलाकात में चंद्र प्रताप 10,000 रु. स्वीकार करते हैं और पांच नए सवालों की पर्ची पर हस्ताक्षर करते हैं.
रामसेवक सिंह (कांग्रेस)
कांग्रेस के सांसद रामसेवक सिंह से कोबरापोस्ट की टीम 25 मई को पहली बार उनके नॉर्थ एवेन्यू स्थित निवास पर मिली थी. पहली मुलाकात में रिपोर्टर ने सांसद को बता दिया कि उनके लिए विजय ( बिचौलिया) के पास 'लिफाफा' छोड़ा जा रहा है. मुलाकात के बाद विजय को सांसद के लिए 25,000 रु. और उसके कमीशन के तौर पर 10,000 रु. मिलते हैं. उस दिन बाद में रामसेवक सिंह फोन पर स्वीकार करते हैं कि उन्हें विजय ने 25,000 रु. दिए. 7 अक्तूबर को रिपोर्टर फिर सांसद से मिलती हैं और संसद के शीत सत्र में सवाल उठाने के लिए 10,000 रु. अग्रिम देती हैं और बाद की मुलाकात में 5,000 रु. स्वीकार कर लेते हैं. इस तरह शीत सत्र में सवाल उठाने के लिए वे हमसे 25,000 रु. ले चुके थे.