बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने उत्तर प्रदेश में खासकर दलितों पर अत्याचार की बढ़ती वारदात पर नाराजगी जाहिर करते हुए शुक्रवार को कहा कि सूबे की समाजवादी पार्टी (सपा) सरकार के चार माह के कार्यकाल में राज्य में मानवता शर्मसार हो गयी है.
विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष स्वामी प्रसाद मौर्य और विधान परिषद में उनके समकक्ष बसपा नेता नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘प्रतापगढ़ तथा कोसी कलां में दंगे हो चुके हैं. चंदौली, सहारनपुर और गाजियाबाद के मंदिरों में दलितों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी है. इसके अलावा मुख्यमंत्री के गृह जनपद इटावा में दलितों को ट्रैक्टर तले रौंद दिया गया.’
सिद्दीकी ने कहा कि सपा शासन में पोस्टमार्टम जैसे कार्य सड़कों के किनारे किये जाने और लावारिस शवों को खुले में छोड़े जाने की भी घटनाएं हो रही हैं. सत्तारूढ़ दल का एक विधायक एक पुलिस अफसर का गिरेबां पकड़कर धमकाता है. इसके बावजूद राज्य सरकार अपने कार्यों के लिये अपनी पीठ थपथपा रही है.
प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार को दलित विरोध करार देते हुए मौर्य ने कहा कि सूबे की पूर्ववर्ती मायावती सरकार के कार्यकाल में ‘स्पेशल कम्पोनेंट प्लान’ के धन से स्थापित कराये गये मेडिकल कालेजों में दाखिला दिये जाने में केन्द्र सरकार के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि नियमत: इन कालेजों में 70 प्रतिशत प्रवेश अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजातियों के अभ्यर्थियों को दिया जाना चाहिये, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है.
मौर्य ने कहा कि बसपा ऐसी मनमानी नहीं चलने देगी और सरकार ने अगर अपना रवैया नहीं बदला तो कड़ा विरोध किया जाएगा. सिद्दीकी ने कहा कि अखिलेश सरकार को अपने फैसलों और वादों से पलटने में महारत हासिल हो गयी है. उन्होंने कहा कि सरकार मुसलमानों को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण दिलाने के चुनावी वादे से मुकर गयी है.
नगर विकास मंत्री आजम खां द्वारा रामपुर में मौलाना मुहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय खोलने की इजाजत नहीं मिलने के लिये केन्द्र सरकार को दोषी ठहराये जाने के बारे में पूछे जाने पर सिद्दीकी ने किसी का नाम लिये बगैर कहा कि इस विश्वविद्यालय के नाम पर देश और विदेश से खासी धन उगाही की गयी है.