केन्द्र में सत्तारूढ़ गठबंधन के घटक दल और विपक्ष ने डीजल मूल्यवृद्धि के लिए सरकार पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि इससे आम आदमी पर बोझ और बढ़ जायेगा तथा इसे फौरन वापस लेने की मांग की.
यूपीए के दूसरे सबसे बड़े घटक दल तृणमूल कांग्रेस ने इसका कड़ा विरोध करते हुए कि पार्टी इससे अप्रसन्न है और वह इसे वापस लेने की मांग करती है. तृणमूल प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा, ‘हम अप्रसन्न हैं. हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे और हम इसे वापस लेने की मांग करते हैं.’
एक अन्य तृणमूल नेता एवं रेल मंत्री मुकुल राय ने कहा, ‘इस बारे में हमारे साथ विचार विमर्श नहीं किया गया.’ सरकार ने गुरुवार मध्यरात्रि से डीजल के दाम में पांच रुपये प्रति लीटर की बढोतरी करने का निर्णय किया है जिसमें मूल्य संवर्धित कर (वैट) शामिल नहीं है.
प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली कैबिनेट की राजनीतिक मामलों की समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया. बैठक में घरेलू इस्तेमाल के लिए साल में सब्सिडी वाले रसोई गैस के मात्र छह सिलेंडर दिये जाने का भी निर्णय किया गया.
बीजेपी के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ‘यह देश के आम आदमी के साथ क्रूर मजाक है. इससे धान बुवाई के मौसम में किसानों पर बुरी मार पड़ेगी. हम इस मूल्यवृद्धि को स्वीकार नहीं करेंगे. हम सरकार को इस तरह आम आदमी को लूटने की इजाजत नहीं दे सकते.’
भाजपा नेता यशवन्त सिन्हा ने कहा कि डीजल मूल्य बढ़ने से पूरी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा. कीमतें पहले से ही काबू में नहीं हैं. इसके कारण मुद्रास्फीति बढ़ेगी और अर्थव्यवस्था में दुश्वारियां पैदा हो जायेंगी.
भाकपा के राष्ट्रीय सचिव डी राजा ने इस निर्णय को पीछे ले जाने वाला और जन विरोधी करार दिया. उन्होंने कहा कि इससे जरूरी वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे जो पहले से काफी ऊंचे हैं. इससे आम आदमी की मुश्किलें और बढ़ेंगी. सरकार को इसे लागू नहीं करना चाहिए.