डीजल मूल्यवृद्धि व रियायती दर पर साल में मात्र 6 रसोई गैस सिलेंडर देने की केंद्र सरकार की नीति के खिलाफ शुक्रवार को देशभर में सभी विपक्षी पार्टियों ने कांग्रेस को कोसते हुए रैलियां निकालीं और सड़कों को जाम किया.
वहीं कांग्रेस ने फैसले को उचित बताते हुए कहा कि संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के 'नाखुश' सहयोगियों को मना लिया जाएगा. विभिन्न दलों ने सरकार के इस कदम को आम आदमी पर भारी बोझ बताया और इसे अविलम्ब वापस लेने की मांग की.
मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के कार्यकर्ताओं ने जहां सभी राज्यों में प्रदर्शन किया. भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार ने भोपाल में घोषणा की कि पार्टी 17 से 24 सितम्बर तक देशव्यापी आंदोलन करेगी.
भाजपा कार्यकर्ताओं ने उत्तर प्रदेश में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री जयपाल रेड्डी का पुतला फूंककर अपना विरोध दर्ज कराया. लखनऊ में जहां सांसद लालजी टंडन के नेतृत्व में प्रदर्शन किया गया वहीं कानपुर में प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी के नेतृत्व में कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया.
केंद्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रही समाजवादी पार्टी (सपा) के कार्यकर्ताओं ने भी लखनऊ, इलाहाबाद, कानपुर सहित उत्तर प्रदेश के सभी शहरों में प्रदर्शन किया और रेलगाड़ियां रोकीं.
उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की अध्यक्ष मायावती ने एक बयान जारी कहा कि महंगाई से पूरी जनता परेशान है. केंद्र अपना फैसला वापस ले नहीं तो बसपा इसके विरोध में सड़कों पर उतरेगी.
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने डीजल की कीमतों में की गई बढ़ोतरी और रियायती दर पर रसोई गैस सिलेंडरों की उपलब्धता सीमित किए जाने की घोर निंदा करते हुए फैसला वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा है कि इस फैसले से अन्य सभी कीमतों में और आग लगेगी.
इंदौर में भाजपा महिला मोर्चा ने सड़क पर चूल्हा जलाकर रोटियां सेंकी. साथ ही अचार रोटी भी खाने को बांटी और कहा कि महंगाई के चलते आने वाले दिनों में आम आदमी का भोजन भी यही होने वाला है. पार्टी की युवा इकाई के कार्यकर्ताओं ने भी केंद्र सरकार को जमकर कोसा.
बिहार के मुख्यमंत्री एवं जनता दल (युनाटेड) नेता नीतीश कुमार ने भी डीजल मूल्य में वृद्धि और रसोई गैस की राशनिंग को आम लोगों के लिए 'क्रूर मजाक' बताया है. नीतीश सरकार में शामिल भाजपा ने पटना में 'आक्रोश रैली' निकाली. भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सी़ पी़ ठाकुर में नेतृत्व में निकाली गई यह रैली भाजपा कार्यालय से डाक बंगला चौराहा पहुंची, जहां प्रधानमंत्री का पुतला दहन किया गया.
बिहार के मजदूर संगठनों ने भी केंद्र सरकार के कदम का विरोध किया है. यहां जारी संयुक्त बयान पर कुल नौ मजदूर संगठनों के नेताओं के हस्ताक्षर हैं. इन संगठनों में बीएमएस, इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, एआईसीसीटीयू, यूटीयूसी और सेवा शामिल हैं.
ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) के कार्यकर्ताओं ने केंद्र सरकार के इस कदम के खिलाफ प्रदर्शन किया और इस फैसले को तुरंत वापस लेने की मांग की. प्रदर्शनकारियों ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह एवं कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी का पुतला भी फूंका.
बीजद उपाध्यक्ष दामोदर राउत ने कहा, 'डीजल मूल्य में वृद्धि से आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि का सामना कर रहे आम आदमी का जीवन और कठिन हो जाएगा.'
उधर, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) के महासचिव प्रकाश करात ने कोलकाता में कहा कि उनकी पार्टी दूसरे राजनीतिक दलों के साथ मिलकर इसके खिलाफ राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेगी और सरकार पर डीजल की बढ़ी हुई कीमत वापस लेने के लिए दबाव बनाएगी. उन्होंने कहा, 'हम वामपंथी दलों तथा समान सोच वाली पार्टियों के साथ मिलकर इसके विरोध में राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन करेंगे, ताकि सरकार यह निर्णय वापस लेने पर विवश हो जाए.'
समूचे आंध्र प्रदेश में भी विपक्षी पार्टियों ने शुक्रवार को सड़कों पर उतरकर प्रदर्शन किया. मुख्य विपक्षी दल तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीएसआर), भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा), माकपा, भाजपा तथा अन्य दलों ने अलग-अलग विरोध प्रदर्शन किया और सड़कों को अवरुद्ध किया.
राजधानी हैदराबाद में तेदेपा ने पार्टी मुख्यालय एनटीआर ट्रस्ट भवन से एक रैली निकाली जो जुबली हिल्स पुलिस चौकी पर जाकर खत्म हुई. रैली का नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री एवं तेदेपा प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू ने किया.
इस बीच, संप्रग में शामिल द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (डीएमके) तथा तृणमूल कांग्रेस ने भी केंद्र के इस फैसले पर नाराजगी जताई है, लेकिन कांग्रेस ने उम्मीद है कि वह अपने नाखुश घटकों को मनाने में कामयाब हो जाएगी. कांग्रेस के प्रवक्ता पी. सी. चाको ने डीजल की कीमत में वृद्धि के फैसले को 'अप्रिय पर अपरिहार्य' बताते हुए कहा कि उन्हें सहयोगियों को इस निर्णय के बारे में आश्वस्त कर लेने का भरोसा है.
चाको के अनुसार, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सरकार से यह निर्णय लेने के लिए नहीं कहा था, लेकिन यह अपरिहार्य था. वहीं पार्टी सूत्रों का कहना है कि बहुत से कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने भी डीजल की कीमतों में वृद्धि वापस लेने की मांग की है.
शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, देश की महंगाई दर अगस्त माह में बढ़कर 7.55 फीसदी हो गई, जो जुलाई में 6.87 फीसदी थी. कहा गया है कि महंगाई दर में अप्रत्याशित वृद्धि में दलहन, गेहूं, आलू और कुछ अन्य सब्जियों की कीमतों में उछाल ने प्रमुख भूमिका निभाई.