कोयला ब्लाक आवंटन में कथित अनियमितताओं को लेकर विपक्ष ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस्तीफे की मांग करते हुए भारी हंगामा किया, जिससे दोनों ही सदनों की बैठक एक बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित करनी पड़ी.
हंगामे के कारण दोनों ही सदनों में न तो प्रश्नकाल हो सका और न ही कोई अन्य विधायी कार्य. लोकसभा में सुबह कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा की अगुवाई वाले राजग और वाम दलों समेत समूचे विपक्ष ने कोयला आवंटन में कथित अनियमितताओं संबंधी भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट का मामला उठाया.
विपक्षी सदस्यों ने दलील दी कि जिस समय ये अनियमितता हुई, प्रधानमंत्री के पास ही कोयला मंत्रालय था, इसलिए उन्हें फौरन इस्तीफा देना चाहिए. भाजपा और अन्नाद्रमुक के सदस्य प्रधानमंत्री इस्तीफा दो’ के नारे लगाते हुए आसन के समक्ष आ गए. अध्यक्ष मीरा कुमार ने स्थिति शांत नहीं होते देख कुछ ही मिनट बाद बैठक दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी. बैठक शुरू होने पर भी यही नजारा रहा.
विपक्षी सदस्य आसन के समक्ष आकर नारेबाजी करते रहे. इसी हंगामे के बीच अध्यक्ष ने आवश्यक दस्तावेज सदन पटल पर रखवाए. अध्यक्ष ने सदस्यों को शांत करने का प्रयास करते हुए कहा कि यदि सदन चाहे तो इस विषय पर चर्चा हो सकती है. सदन के नेता और गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने भी कहा कि इस मुद्दे पर किसी प्रकार की चर्चा पर सरकार को कोई आपत्ति नहीं है लेकिन विपक्षी सदस्यों पर उनकी अपील का कोई असर नहीं हुआ और नारेबाजी जारी रही.
हंगामा थमते न देख मीरा कुमार ने बैठक करीब सवा 12 बजे दिनभर के लिए स्थगित कर दी. उधर राज्यसभा में भी इसी मुद्दे पर विपक्ष ने जमकर हंगामा किया. सदन की बैठक शुरू होते ही भाजपा, जदयू, अन्नाद्रमुक, वाम दलों के सदस्यों ने अपने स्थानों पर खड़े होकर कोयला आवंटन से जुड़ा मामला उठाना शुरू कर दिया.
भाजपा के कुछ सदस्यों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए नारे लगाये. अन्नाद्रमुक और जदयू सदस्य सीएजी रिपोर्ट की प्रति सदन में दिखाने लगे. सभापति ने उन्हें ऐसा नहीं करने के लिए आगाह किया. हंगामे के बीच ही नरेश अग्रवाल सहित सपा के कई सदस्य कोई अन्य मुद्दा उठाने का प्रयास करने लगे. हंगामे के कारण उनकी बात नहीं सुनी जा सकी.
सभापति ने विपक्षी सदस्यों से कहा कि उनमें से कोई एक अपनी बात को सदन में रखे. यदि सब एक साथ बोलेंगे तो कुछ भी नहीं समझ में आयेगा. लेकिन उनकी इस अपील का कोई असर नहीं हुआ. हंगामा थमते न देख सभापति ने बैठक को शुरू होने के महज पांच मिनट बाद ही दोपहर बारह बजे तक स्थगित कर दिया. बैठक शुरू होने पर कांग्रेस के वरिष्ठ सदस्य पी जे कुरियन को सर्वसम्मति से सदन का उपसभापति चुना गया. सभापति ने कुरियन के सर्वसम्मति से निर्वाचित होने की घोषणा की.
इसके बाद सभापति, प्रधानमंत्री, नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली सहित सभी दलों के नेताओं ने कुरियन को बधाई दी. इसके बाद जैसे ही सभापति ने कुरियन को सदन की कार्यवाही चलाने के लिए आसन पर आमंत्रित किया, विपक्षी सदस्यों ने हंगामा शुरू कर दिया. हंगामा जारी रहने पर कुरियन ने करीब दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर बैठक पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी.