अमेरिकी कमांडो के हमले के दौरान अगर ओसामा बिन लादेन बुलेट प्रूफ जैकेट में होता तो भी मारा जाता. अगर वो बिना कपड़ों के होता यानी उसने कोई कपड़े ना पहन रखे होते तो शायद उसकी जान बच जाती. शायद कमांडो उसे जिंदा गिरफ्तार कर अपने साथ अमेरिका ले जाते. पर बदकिस्मती से ओसामा ने उस वक्त कपड़े पहन रखे थे. वो कपड़े जिनसे अमेरिका डरा हुआ था.
कपड़ा इंसान को पहचान देता है, इज्जत बख्शता है लेकिन क्या आपने सुना है कि कपड़ा किसी की जान का दुश्मन बन जाए? शायद यह अजीब लगे लेकिन ये सच है दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन की जान इसी कपड़े ने ली. अगर ओसामा नंगा होता तो जिंदा बच सकता था.
वैसे तो ओसामा अमेरिकी नेवी के सील्स टीम 6 के कमांडो आपरेशन में मारा गया. लेकिन इस ऑपरेशन के बाद भी ओसामा बच सकता था. बशर्ते वो बिना कपड़े के होता यानि नंगा होता. जानते हैं क्यों?
अमेरिका खुफिया एजेंसी सीआईए ने ऑपरेशन जेरेनिमो इकीया को अंजाम देने वाले कंमाडोज़ को साफ निर्देश दिया था कि ओसामा-बिन-लादेन को तभी जिंदा पकड़ा जाए. जब वो बगैर कपड़े के सरेंडर करे को तैयार हो. यानी वो पूरी तरह से नंगा हो. सीआईए के डायरेक्टर लियोन पेनेटा की मानें तो उन्हें ओसामा पर ज़रा भी भरोसा नहीं था. वो उसे कुछ बोलने तक का मौका नहीं देना चाहते थे. उन्हें अंदेशा था कि खूंखार ओसामा के कपड़ों में बम छुपा हो सकता है. वो आईइडी लगा हुआ जैकेट पहना हो सकता है. कप़ड़े के अंदर कोई हथियार छुपा हो सकता है. और ऐसे में पकड़े जाने की हालत में वो सुसाइड बम बन कर अपने आसपास मौजूद हर चीज को उड़ा सकता था.
एक मई की रात जब अमेरिका ने एबटाबाद की इस हवेली पर धावा बोला, उस वक्त ओसामा पठानी सूट में सो रहा था. थोड़ी सी मशक्कत के बाद वो वक्त भी गया जब निहत्था ओसामा कमांडो के निशाने पर आ गया था.
मगर कपड़े उतारना तो दूर वो उनके कब्जे में आने का भी विरोध कर रहा था. अमेरिकी कमांडो के पास वक्त इतना वक्त नहीं था कि वो से बहस करते. लिहाजा कमांडोज़ ने बिना वक्त गंवाए और कोई खतरा मोल लिए सीधे उसे मार डालने का ही फैसला किया. और फिर उसे उसी तरह मारा गया जैसे किसी सुसाइड बॉंबर को मारा जाता है. बिना कोई मौका दिए सील्स टीम 6 के कंमाडो ने ओसामा के सिर में दो गोलियां दाग दीं . इसे डबल ट्रैप कहते हैं
ओसामा ने पहले ही ऐलान कर रखा था कि अमेरिकी फौज से घिर जाने पर वो पकड़े जाने के बजाए मरना पसंद करेगा.
खुद ओसामा बिन लादेन के बॉडीगार्ड रहे नासीर अल बहिरी ने भी इस बात की तस्दीक की है. नासीर अल बहिरी के मुताबिक अगस्त 1998 में जब अमेरिकी हमले हो रहे थे तब एक दिन लादेन ने अपनी रिवाल्वर से दो बुलेट निकाल कर उसे दिया और सख्त हिदायत देते हुए कहा था कि कभी वो अमेरिकी दुश्मनों से घिर जाए तो उसके सिर में गोली मार दे. शायद जिंदा पकड़ा जाना ओसामा को मंजूर नहीं था. अमेरिकी जेलों में जाना ओसामा अपनी तौहीन समझता था.
कपड़े के बाद अब बात कोठी की. उसी कोठी की जिसमें ओसामा मारा गया और जिसे बहुत से लोग ओसामा की हवेली भी कहते हैं. तीन मंजिली कोठी में ओसामा पांच साल पहले घुसा था. और एक बार इस कोठी में घुसने के बाद वो एक बार भी कोठी के बाहर नहीं निकला. कोठी के अंदर भी वो सिर्फ दो कमरों में ही खुद को कैद रखता था.
पाकिस्तान ने गुरूवार को आखिरकार ये मान ही लिया कि ओसाम बिन लादेन एबटाबाद की इस हवेली में पिछले पांच सालों से रह रहा था. और ये हवेली छह साल पहले खास उसके छुपने के लिए ही बनाई गई थी.
पाकिस्तान सरकार ने गुरूवार को कुछ चुनिंदा संपादकों को बुला कर ऑपरेशन ओसामा के बाद के घटनाक्रम के बारे में उन्हें पूरी जाकारी दी. पाकिस्तान के मुताबिक एक मई की रात को हुए ऑपरेशन की जानकारी उन्हें उसी रात तब मिली जब हेलीकॉप्टर के क्रैश होने और गोलियों की आवाजें सुनाई दीं. मगर जब तक लोकल पुलिस मौके पर पहुंचती अमेरिकी कमांडो दूसरे हेलीकॉप्टर में वहां से उड़ चुके थे.
इसके बाद जब पुलिस हवेली के अंदर दाखिल हुई तो वहां हवेली के एक हिस्से में आग लगी हुई थी. जबकि हवेली के अंदर बहुत से बच्चे और औरतें डरे-सहमे अलग-अलग कमरों में दुबके हुए थे. तब तक खुद पुलिस को भी पता नहीं था कि ये ओसामा बिन लादेन की हवेली है. मगर फिर जब देर रात व्हाइट हाउस से इस्लामाबाद को ऑपरेशन की खबर दी गई तब कहीं जाकर पाक सेना और पाक खुफिया एजेंसी आईसआई हरकत में आई और फौरन आला अफसरों को एबटाबाद दौड़ाया गया.
पाक सरकार ने संपादकों को बताया कि हवेली में मौजूद तमाम लोगों को सबसे पहले अस्पताल ले जाया गया. इसके बाद जब उनसे पूछताछ की गई तो पता चला कि उनमें तीन ओसामा की बेवा हैं जबकि एक बेटी. इन्हीं में से एक यमन की रहने वाली ओसामा की बेवा ने पाक अफसरों को बताया कि ओसामा पांच साल पहले अफगानिस्तान से एबटाबाद की इस हवेली में आया था. और तब से वो यहीं रह रहा था. इन पांच सालों में घर से बाहर निकलना तो दूर वो घर के अंदर भी सिर्फ दो कमरों में सिमटा रहता था. और ये दोनों ही कमरे तीसरी मंजिल पर थे.
ओसामा की इस बेवा के मुताबिक ओसामा कभी कंपाउंड में या नीचे भी नहीं जाता था. यहां तक कि वो खुली छत पर भी कभी नहीं गया. हवेली के अंदर भी ओसामा के कमरे यानी तीसरी मंजिल पर जाने की हरेक को इजाजत नहीं थी. सिर्फ उसकी बीवियां और बच्चे ही उसके कमरे तक जा सकते थे.
पाक सरकार ने ये भी बताया कि स वक्त कमांडो ने हवेली पर धावा बोला था तब ओसामा की तीनों बीवियां पहली औऱ दूसरी मंजिल पर थीं. जबकि 12 साल की उसकी बेटी दूसरी मंजिल पर ओसामा के साथ थी. और उसी बेटी के सामने ओसामा को गोली मारी गई.
एक मई की रात अमेरिका के नेवी सील कमांडो ने कैसे ओसामा को मार गिराया ये अब दुनिया जान गई है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि ओसामा के खात्मे के इस ऑपरेशन में एक बेजुबान जांबाज़ ने भी बेहद अहम भूमिका निभाई थी? जी हां. ओसामा को मारने गई टीम के साथ एक कुत्ता भी था. और इसी कुत्ते की बदौलत कमांडो बेधड़क ओसामा के ठिकाने में घुस पाए थे.
एक मई की रात अमेरिका के नेवी सील कमांडों अपने सबसे बड़े मिशन की ओर बढ़ रहे थे. खबर मिली थी कि अमेरिका का सबसे बड़ा दुश्मन पाकिस्तान के एबटाबाद इलाके के एक मकान में छुपा है. इस हमले से पहले नेवी सील टीम सिक्स के कमांडो ने महीने भर कड़ी ट्रेनिंग की थी. लेकिन फिर उन्हें पुख्ता तौर पर ये नहीं मालूम था कि उनके हमले का दुश्मन कैसा जवाब देंगे.
तैयारी बड़ी थी क्योंकि सामाना था आतंक के सबसे बड़े चेहरे ओसामा बिन लादेन से. अमेरिका की दस साल पुरानी तलाश पूरी होने वाली थी, इसलिए अमेरिकी कमांडो कोई चूक नहीं चाहते थे.
इस मिशन में खतरे कई थे. ओसामा ने अपने ठिकाने में कितने असलहे और बारूद छुपा रखे थे किसी को नहीं मालूम. हमले पर ओसामा किस तरह की जवाबी कार्रवाई करेगा ये भी नहीं मालूम था.
सबसे बड़ा खतरा इस बात का था कि कहीं लादेन घर के भीतर से नेवी सील कमांडो पर हथ गोलों से ना हमला कर दे. नेवी सील कमांडो को ऐसे खतरों से बचाने के लिए उनके साथ आया था एक चार पैर का जांबाज़.
ब्रिटिश अखबार द सन का दावा है कि अमेरिकी कमांडो, ओसामा के ठिकाने पर हमले के लिए अपने साथ एक जर्मन शेफर्ड कुत्ता भी लेकर आए थे.
अखबार की मानें तो ओसामा के ठिकाने में सबसे पहले ये कुत्ता ही घुसा था. इस जर्मन शेफर्ड ने सूंघ कर ये जानने की कोशिश की थी कि कहां कहां बारूद रखे हैं और कहां लोग छुपे हैं.
कुत्ते को भेजकर नेवी सील के कमांडो ये आश्वस्त हो जाना चाहते थे कि उनके दुश्मन ने घर में बारूद बिछा कर कमांडो पर हमले की तैयारी तो नहीं की थी.
अखबार का दावा है कि कुत्ते से सिग्नल मिलने के बाद ही कमांडो लादेन के ठिकाने के भीतर घुसे थे. एक बार जब कमांडो ये समझ गए कि उनके रास्ते में कोई बारूदी साजिश नहीं बिछी है तब वो बेधड़क घर के अंदर घुसे और फिर अगले 25 मिनट में अपने सबसे बड़े टार्गेट को गोलियों से छलनी कर दिया.
अखबार का ये भी दावा है कि नेवी सील के कमांडो जिस कुत्ते को अपने साथ ले गए थे वो उनकी कॉम्बैट ट्रैकर ब्रिगेड का कुत्ता हो.
एक साल पहले ही तैयार की गई इस ब्रिगेड के कुत्ते किसी भी इंसान के कदमों के निशान या खून की एक बूंद भी सूंघ कर उस तक पहुंच सकते हैं.
दावा किया जा रहा है कि नेवी सील कमांडो अपने साथ ये कुत्ता इस लिए ले गए ताकि ओसामा अगर भागने की कोशिश करे तो उसे पकड़ा जा सके.
हेलीकॉप्टर की आवाज सुन कर या फिर कमांडो कार्रवाई के दौरान किसी भी तरह अगर ओसामा अपने ठिकाने से निकल भागने में कामयाब हो जाता तब भी वो कमांडो दस्ते के इस साथी से ज्यादा देर तक नहीं बच सकता था. उसके कदम के निशान सूंघ कर ये कुत्ता ओसामा पीछा करता और उसके जरिए नेवी सील के कमांडो एबटाबाद की गलियों में भी उसे ढूंढ कर मार गिराते.
कमांडो किसी भी सूरत में इस बार ओसमा को अपने हाथ से निकलने नहीं देना चाहते थे, खबरों की मानें तो यही वजह थी कि वो अपने साथ अपने टीम के सबसे वफादार और जांबज़ साथी को भी ले गए थे.
दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी ओसामा बिन लादेन कभी अपने पास फोन नहीं रखता था. उसे मोबाइल फोन से नफरत था.. लेकिन उसके पास हर वक्त होते थे दो इमरजेंसी नंबर. ओसामा की मौत के बाद इन इमरजेंसी नंबरों का राज खुला तो अमेरिका की आंखें फटी की फटी रह गई.
क्या दुनिया कभी ओसामा की मौत की तस्वीर देख पाएगी? अब तक उम्मीद यही थी कि व्हाइट हाउस दुनिया को ये यकीन दलाने के लिए कि ओसामा मर चुका है, उसकी तस्वीरें ज़रूर जारी करेगा.
पर अमेरिका ने ये कह कर तस्वीरें जारी करने से मना कर दिया है कि तस्वीरें बेहद वीभत्स हैं और इसके जारी करने से अमेरिकी सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.