किर्गिजस्तान के दक्षिणी शहर ओश में पिछले तीन दिन से जातीय हिंसा हो रही है और वहां 100 से अधिक भारतीय फंसे हैं। इनमें बड़ी संख्या छात्रों की है.
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि अब तक 113 व्यक्ति जातीय हिंसा में मारे जा चुके हैं. वहां स्थित भारतीय मिशन हिंसा प्रभावित ओश शहर में संबद्ध अधिकारियों, वहां के विदेश मंत्रालय से और वहां फंसे भारतीयों से संपर्क बनाए हुए हैं ताकि भारतीय समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
सूत्रों ने बताया कि भारतीयों की बेहतरी और सुरक्षा के लिए हरसंभव उपाय किए जाएंगे. उन्होंने बताया कि मिशन स्थिति पर लगातार नजर रखे हुए है. किर्गिजस्तान में हो रही जातीय हिंसा में 113 व्यक्ति मारे जा चुके हैं और 1,400 घायल हो गए हैं. अंतरिम सरकार इसे रोकने की कोशिश कर रही है. सोवियत संघ के विघटन के बाद से किर्गिजस्तान में यह सर्वाधिक भयावह जातीय हिंसा है.
अंतरिम राष्ट्रपति रोजा ओतनबायेवा की प्रांतीय सरकार ने सप्ताह के अंत में सुरक्षा बलों को, नागरिकों की रक्षा करने के लिए उपद्रवियों को देखते ही गोली मारने के आदेश दे दिए. दुनिया भर के नेताओं और सहायता समूहों ने किर्गिजस्तान में जारी हिंसा रोकने की अपील की है.
ओश में 24 घंटे का कर्फ्यू और आपातकाल लागू है. यहां बृहस्पतिवार को हिंसा भड़की जिसके बाद देश के पूरे दक्षिणी जलालाबाद क्षेत्र में आपातकाल लागू करना पड़ा. विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा है ‘दक्षिणी किर्गिजस्तान में कानून और व्यवस्था की समस्या के चलते 116 भारतीय फंसे हुए हैं.’ इनमें से 15 छात्र जलालाबाद में और करीब 99 छात्र, एक प्रोफेसर और एक उद्योगपति ओश शहर में हैं.
बयान में कहा गया है ‘हमारा मिशन कई भारतीय नागरिकों से, किर्गिज सरकार के संबद्ध विभागों से, वहां के विदेश मंत्रालय से और सुरक्षा एजेंसियों से लगातार संपर्क बनाए हुए है.’ इसमें कहा गया है ‘वहां के विषम हालात में भारतीय नागरिकों की सुरक्षा और बेहतरी के लिए हरसंभव उपाय किए जा रहे हैं.’ मंत्रालय का कहना है कि बिशकेक में भारतीय मिशन घटनाक्रम पर लगातार नजर रख रहा है और हालात में सुधार होते ही अतिरिक्त कदम उठाए जाएंगे.