पलानीअप्पन चिदम्बरम ने करीब चार सालों के दरम्यान के बाद बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय का कार्यभार फिर सम्भाल लिया. केंद्रीय मंत्रिमंडल में मंगलवार को किए गए छोटे फेरबदल में चिदम्बरम को गृहमंत्रालय से वित्त मंत्रालय में स्थानांतरित किया गया. उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने के बाद मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की.
प्रणब मुखर्जी द्वारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ने के लिए वित्त मंत्री पद से त्यागपत्र देने के बाद जून से यह मंत्रालय प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के पास था. वित्त मंत्री के रूप में चिदम्बरम की यह तीसरी पारी होगी. वह 1996 में संयुक्त मोर्चा सरकार में पहली बार वित्त मंत्री बनाए गए थे. इस कार्यकाल में उन्होंने वित्तमंत्री के रूप में प्रस्तुत किए गए अपने बजट में कर में कटौती की थी और कारोबार जगत को काफी सुविधाएं दी थी. इसे देश का ड्रीम बजट कहा गया था.
इसके बाद 2004 में वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार में वित्त मंत्री बनाए गए थे. इस कार्यकाल में 2008 में निवेश बैंक लेहमैन ब्रदर्स के धराशाई होने के बाद दुनिया भर को आर्थिक संकट से गुजरना पड़ा था और चिदम्बरम ने इस दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को कुशलता के साथ दिशा दी थी.
देश के कारोबार जगत ने सुधारोन्मुख और कारोबार हितैषी चिदम्बरम को वित्त मंत्री बनाए जाने का स्वागत किया है और उम्मीद जताई है कि वह विकास में तेजी लाने तथा निवेशकों में भरोसा पैदा करने के लिए कदम उठाएंगे. उन्होंने 2008 में 70 हजार करोड़ रुपये के कृषि ऋण माफी को कुशलता से अंजाम दिया था, जिसका सरकार को 2009 के चुनाव में पूरा लाभ भी मिला.